tag:blogger.com,1999:blog-8691068126047016839.post8476540802109319243..comments2023-06-19T09:29:47.473-07:00Comments on मेरे विचार: एक मिनट में एस.के.राय को बदल दिया---इसे कहते हैं हिन्दी का ताकतएस.के.रायhttp://www.blogger.com/profile/13130055447332682963noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8691068126047016839.post-24134473624171220622009-09-18T19:52:28.356-07:002009-09-18T19:52:28.356-07:00अन्त भला सो भला! :)अन्त भला सो भला! :)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8691068126047016839.post-91257242181497417782009-09-18T04:01:38.549-07:002009-09-18T04:01:38.549-07:00बधाई!बधाई!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8691068126047016839.post-73284396529992037152009-09-18T02:17:18.262-07:002009-09-18T02:17:18.262-07:00.
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रॉय जी,
आपने मेरे कहे पर ध्यान दिया, धन्यवाद....<br />.<br />.<br />रॉय जी,<br />आपने मेरे कहे पर ध्यान दिया, धन्यवाद।<br />पर अभी भी मैं संतुष्ट नहीं क्योंकि अभी आपके नाम के प्रथम दो शब्दों की अंग्रेजी abbreviation लिखी गई है, कृपया अपना पूरा नाम हिन्दी में लिखिये जैसे 'श्याम कृष्ण रॉय'<br /><br />प्रवीण शाह<br /><a href="http://praveenshah.blogspot.com" rel="nofollow">हाँ, मैं सेक्युलर हूँ।</a>प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8691068126047016839.post-46628558870582726622009-09-18T02:14:40.208-07:002009-09-18T02:14:40.208-07:00राय साहब,
आपकी कुछ पोस्ट उत्सुक्तावास एक साथ ही पढ़...राय साहब,<br />आपकी कुछ पोस्ट उत्सुक्तावास एक साथ ही पढ़ गयी....बड़ी प्रसन्नता हुई कि आप मातृभाषा हिन्दी के उपासक , प्रशंशक तथा पोषक हैं..<br /><br />परन्तु मुझे खेदजनक यह लगा कि समीर भाई की बात आप नहीं समझ पाए...उन्होंने हिंदी की बुराई नहीं की बल्कि हिन्दी को और अधिक समृद्ध करने की बात की थी....<br /><br />समस्या किसी भाषा में नहीं,बल्कि उसको व्यवहृत करने वाले के भावनाओं में होती है..अंगरेजी क्या, अपने देश या विश्व की जितनी भाषाएँ हम सीख जान पायें उतना अच्छा है..पर समस्या यह है कि आज मातृभाषा के प्रति लोग तिरस्कार का भाव और अंगरेजी के प्रति मोह निष्ठां तथा श्रेष्टता का भाव रखते हैं...हमें आघात उस मानसिकता को पहुँचाना है जो अनावश्यक दंभ का भाव रखती है..भेद भाव फैलती है....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.com