नर्मदा बचाओ आन्दोलन को देश के गद्दार नेताओ ,शासन प्रशासन ने हल्के रूप से लिया जिसके चलते भयानक बाढ और भुकंप से लोगों को बर्वाद करते हुए आज भी प्रभावित लोग नारकिय जीवन जीने को बाध्य है। नदी नालों को बाध कर अचानक अधिक पानी भर जाने के कारण अधिकाधिक पानी छोड़ने की मजबूरी के चलते निचले हिस्सों में देश के किसी न किसी स्थान में हर वर्ष भयानक बाढ से लोग बर्बाद हो जाते है । हजारों एकड़ भूमि नष्ट होने के साथ ही साथ अमूल्य जीवन की बलि देना आम होता जा रहा है।
देश के स्वार्थी , विवकेहीन नेताओं , प्रशासन और व्यापारीयों का गठबंधन ने देश में जो नंगा नाच शुरू कर दिया है उसका जिता जगता उदाहारण देश के राजधानी दिल्ली में दुनियॉ के सामने प्रमाणित हो चुकी है। खेल गॉंव और राश्ट्मण्डल खेल, फूट ब्रिज आदी चिल्हा- चिल्हा कर देश के चरित्र को उजागार करके दूंनिया को बता दिया कि हम कितने विकसित और सभ्य है।
टीव्ही में आज ही श्री कृष्ण सिरियल देख रहा था, इसमें नकूल द्वारा मामा शकूनी को कूरूक्षेत्र में तीर से पैर ,हाथ ,और अन्त में मस्तक को धड़ से अगल करते हुए कहता है कि तम्हारे जैसे मामा को जीने का कोई अधिकार ही नहीं हैं । मै सोच रहा था कि- इस देश के शकूनी जैसे कितने ही गद्दार खूले आम घूम रहे है-
इसी कडी में द्रौपदी ने खूली बालों और कंगी को देखते हुए कहती है कि युद्ध के अन्त में आगे कोई भी दु:शासन नारीयों पर अत्याचार करने का हिम्मत भी नहीं कर पाएगा , काश ऐसा होता -----
लगता है कुरूक्षेत्र का अधूरा कार्य करना अभी बाकी है !!!!!
उम्दा लेखन के लिए आभार
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