रविवार, 4 अक्टूबर 2009

अब बाबा रामदेव और राजीव दिक्षित स्काटलैंड के टापू से दुनियाँ में क्रांति करेंगे !--2

3 अक्टूबर 2009 को जब मैंने रामदेव बाबा पर कुछ लिखना चाहा तो एक बार नहीं अनेक बार सोचता रहा कि क्या मुझे ऐसा करना चाहिए ..... देश में भ्रष्ट बाबा लोगों से तो रामदेव जी बहुत अच्छे कार्य कर रहे हैं । फिर भी लिखने का साहस किया ,क्योंकि दूध का जला छॉछ को भी फूंक फूंक कर पीता है ।

भारत भूमि हमेशा त्याग की बुनियादी शिक्षा देता आया हैं ,यहॉं त्यागी और भोगी का परिभाषा ही अलग हैं । जो भोगी हैं वह कभी योगी नहीं बन सकते ,भौतिक साधनों के प्रति आकर्षित योगी को पथभ्रष्ट योगी के रूप में देखकर कष्ट होना स्वभाविक है ।

मैंने सोचा था कि पता नहीं इस मुद्दे पर मुझे क्या -क्या आलोचना का सामना करना पड़ेगा ....एक दो बन्धु ने जरूर यह लिखने का प्रयास किया कि रामदेव बाबा ऐसे कार्य कर रहे हैं जिससे अनेक कार्पोरेट जगत के आउटलेट घाटे में चल रहा है ।

``समय´´ने कहा कि तथा कथित पैरोकारों को पर्दे के पीछे के ऐसे खेलते देखना सामान्य बात है । इस टिप्पनी से साफ हो जाता है कि मेरे जैसे बहुत लोग होंगे जो बाबाओं के खेल से पहले से परिचित हैं ,राजीव तनेता जी --ने तो कहा कि ऐसे लोगों के खाने के दॉंत और होते है। और दिखाने के और ....

सुरेश चिपलूनकर ने कहा कि-- मुझे उनके चेले से शिकायत हैं क्या ? स्पष्ट करू ...
भाई सुरेश ! मै जरा घुमा कर जवाब देता हूँ ... एक शराबी को यह पता रहता हैं कि कौन सी जगह शराब बिकाती हैं , हम जहॉं से रोज निकलते है फिर भी हमें पता ही नहीं रहता कि यहॉ शराब बिक सकती हैं ,लेकिन शराबी को उस स्थान का पता कैसे चल जाता हैं ? आपने कभी गौर किया है .........
मीठी -मीठी बातें करते हुए राजीव दिक्षीत ने भारतीय जन मानस के जिस विस्वास के साथ खिलवाड़ किया है और जिसके चलते देश को कई वर्ष ,सुधारने की क्रम से पीछे हटना पड़ा हैं ...मैं तो यह मानकर चल रहा था कि अब देश में क्रांति आने को कोई भी नहीं रोक सकता है ,मै सच कहता हूँ -कि नौकरी भी छोडने को तत्पर हो गया था , मेरे एक मित्र ने नौकरी छोड़कर आजादी बचाओ आन्दोलन के साथ हो लिए थे ,जब उनको यह पता लगा कि राजीव दिक्षीत आजादी बचाओ आंदोलन को छोड़कर हिन्द स्वराज अभियान में शामिल हो गए और उनको भी हिन्द स्वराज अभियान में शामिल होने के लिए प्ररित कर रहे हैं, तो वर्षों तक इस परिणाम के कारण मानसीक सन्तुलन ही खो बैठे थेे ।

एक नहीं सैकडों उदाहरण मेरे पास हैं ,कुछ आन्दोलन कारी साथियों ने तो बाबा रामदेव जी को उनके काली करतुतों के बारे में प्रमाण सहित बताया ,और बाबा को निवेदन भी किया कि आपके जैसे योगी को एक लोभी और बदनाम व्यक्ति को किसी भी कीमत में पनाह नहीं देना चाहिए ....बाबा नहीं माने ....

बाबा ने उन्हें स्वदेशी मंच का प्रधान बना दिया ..... जिस राजीव दिक्षीत को सुनने के लिए हजारों लोग स्वप्ररित होकर इकट्ठा हो जाया करते थे ,आज राजीव दिक्षीत यदि कहीं खड़े हो जाए तो उसे सुनने वाले कोई मजबूरी में ही खडे होंगे ....अनिच्छा से ..... घृणा और जिज्ञासा से ................... जानबुझ कर रामदेव जी ने एक अनैतिक वान को देश के जनता पर थौप दिया हैं जैसे हमारे देश में मंत्री –अधिकारियों को थौपे जाते है। मैं अब किसका तारिफ करू ...?

एक कंपनी ने दस हजार जमा करने पर एक हजार रूपया प्रति माह देता था ,अर्थात साधारण हिसाब 120 प्रतिशत ब्याज देना कोई मामूली बात तो नहीं हैं ,कई परिचित लोगों को मैंने मना किया पर बहुत लोग माने नही ,अभी कुछ दिन पहले इस कंपनी के फर्जीवाडा पकड़ में आ गया और लोगों को मिलने वाली प्रतिमाह दस प्रतिशत भी मिलना बंद ..... इस पर भी यदि स्काट लैंड के धरती से देश में क्रान्ति हो जाए तो मैं सबसे पहले उसका समर्थन ही नहीं करूंगा, बल्कि बाबा जी के चरणों में जाकर निवेदन करूंगा कि मुझे भी देश सेवा का एक अवसर आपके सानिद्ध में प्राप्त होने पर आपकी कृतज्ञता स्वीकार करने में गर्व की अनुभुती होगी .....मैं यह भी विस्वास दिला सकता हूँ कि आज की भौतिक वादी युग में नोटों से भरी हजारों ट्क भी मुझे सच्चाई की राह से डिगा नहीं सकता ..............................

शनिवार, 3 अक्टूबर 2009

अब बाबा रामदेव और राजीव दिक्षीत स्काटलैंड के टापू से दुनियाँ में क्रांति करेंगे !

बाबा रामदेव ने अब भारतीय रकम को विदेशों में निवेश करने लग गए है ,हाथी के दॉंत दिखाने का कुछ और खाने का कुछ होता हैं ,स्वदेशी का नारा लगाने वाले बाबाजी अवसर देखकर अपनी साम्राज्य विस्तार में लगे हुए हैं ,उनका कहना है कि- विदेशों में भारी मांग होने के कारण उनके चेलों ने एक टापू खरीदने में विशेष सहयोग किया है ।

मंदी के मार से विदेश में अचल सम्पत्ति खरीदने वाले विरले ही मिलेंगे ,इस अवसर का लाभ तो एक योगी को उठाना ही चहिये , क्योंकि उनके पास बैठे हुए एक ऐसे तमाशेबाज ,एक ऐसे नटवरलाल जिनको ईश्वर ने लोगों को प्रभावित करने के लिए वाणी तो दी है ,पर ईमानदारी शायद उनके खून से गायब हो चुका है।

मै नाम लूँ तो हो सकता हैं कि देश के बहुत लोगों को अच्छा नहीं लगेगा ,आज कल रामदेव जी के साथ बैठे-हाईटेक स्वदेशी प्रचारक ,देश के कर्णधार ,देश से विदेशी कंपनीयों को भगाकर ही दम लेंगे, ऐसे कहने वाले स्व उपाधी धारक राष्ट्रबंधु श्री राजीब दिक्षीत जी जिनके सलाहकार बन बैठे है .....

मैं पिछले वर्ष जब एक सम्मेलन में भाग लेने वर्धा पहूंचा तो राजीव दिक्षीत से मिलने का मन होने से उनके घर चला गया , एक साधरण जीवन जीने की संकल्प करने वाले ,गॉंधी जी को आदर्श मानकर, देश में प्रचार करने वाले ,अपने नाम से कभी कोई बैंक में खाता न रखने की बातें करने वाले त्यागी जी- के घर में जो भव्यता देखा तो मुझे एका एक विस्वास ही नहीं हुआ कि.. मैं कहीं सपना तो नहीं देख रहा हूं ....?

श्री कृष्ण और सुदामा के किस्से तो जग जाहिर है , गरीब सुदामा अपनी सखा श्रीकृष्ण से कभी कुछ मांगने की कल्पना तक नहीं कर पाते थे ,परन्तु जब श्री कृष्ण से मिलकर वे घर लौटे तो झोपड़ी के स्थान पर महल देखकर हैरान हो गए थे । अब राजीव भाई को कलियुग में ऐसी कौन भगवान राजा मिल गए होंगे, जिसने रातों रात उन्हें करोड़पति बना दिए हैं .... कुछ समय पहले मेरे पास कई मेल आया --- जिसमें राजीव भाई के बारे एक खुलीचिट्ठा भी था ,भावनाओं से खेलते हुए इस देश में रातों रात करोड़पति बनना बहुत आसान है ,यही बात दिक्षीत जी पर भी लागु होता है।

सलहाकार बन कर बाबा राम देव को विदेश में धन निवेश करने का काम यही एक व्यक्ति के सिवाय अन्य कोई करने का हिम्मत नहीं कर सकता ..... स्कॉट लैंड स्थित एक पुरे टापू को ही बाबा रामदेव जी ने खरीद लिया है ,भारतीय भूमि उन्हें अब रास नहीं आ रहा है ,इस देश में घर- घर तक योग सिखाते हुए, राष्ट्रप्रेम ,स्वदेशी - भावना द्वारा देश में क्रान्ति लाने की बातें करने वाले बाबा ,अब विदेश से भारत का संचालन करेंगे । एक विदेशी निर्जन टापू में बैठ कर भारत में दोनों मिलकर क्रांति करेंगे ,योजना बहुत ही अच्छी है । १५.३० करोड़ रूपये में एक टापू खरीद कर आगे लाभ की सम्भवना अभी से ही शुरू है .....

वर्षों पहले इस देश में एक महेश योगी हुए ,वे भी विदेश में रहकर न जाने क्या- क्या प्रयोग किया करते थे,आज महेश योगी को कितने लोग जानते हैं पता नहीं ...........एक समय आचार्य रजनिश भी देश छोडकर विदेश चले गए थे ,अमेरिका में रजनिशपूरम् बना कर अमेरिका का ही राष्ट्रपति बनने का सपना देखने वाले ओशो का जो हस्र हुआ, उसे देख सुन कर बाबाओं को कुछ ज्ञान लेने का समय ही कहॉं हैं ........

देश के महान साहित्यकार ने एक स्थान में लिखा कि... अपनी मॉं को असहाय छोड़ कर जो दूसरे मॉं की सेवा करते हैं वे कृतघ्न कहलाते हैं ....पता नहीं ...सत्य लिखने की मुझे क्या सजा मिलेगी... पर यह तो स्पष्ट हैं कि कलियुगीन बाबाओं को सजा देने वाले अभी देश में शायद ही पैदा हुए होगे ....!!

शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2009

देश में जीवन का कोई कीमत नही --बिहार में ६० की जल समाधी

यदि लोग अकाल मृत्यु में चल बसे और हम विज्ञान की दम्भ में, समय गूजारते चले जाए तो , आगे चलकर विज्ञान को नकारने का एक बहाना तो लोगों को मिल ही जाएगा ,हम चॉंद में पानी होने की बाते करते है, वहॉं मनुष्य के बसने लायक स्थिति पैदा करने लगे हैं ,लेकिन जहॉं मनुष्य के लिए प्रकृति ने सब कुछ अनुकूल वातावरण बनाकर वरदान स्वरूप हमें प्रदान किया है ,उसी वरदान को हम नकारते हुए, दूर का ढोल सुहावना लगता हैं वाली कहावत चरितार्थ करने लगे हुए है ।

आज भी हम लोगों को भर पेट भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाए है ,उचित शिक्षा की बात तो दूर हम अक्षर ज्ञान तक बच्चों को उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं ,रास्ते में कैसे चलना चाहिए यह भी सिखाने में हम असमर्थ हैं । लोग जल के बीना बेमौत मारे जाते हैं ,पिलिया तो जल के कारण ही होता हैं , गन्दगी के कारण लाखों लोग प्रत्येक वर्ष मारे जाते हैं । मलेरिया ,हैजा ,डेंगू आदी तो गंदगी के कारण ही पैदा होता है ,हम आजादी के बाद बाते तो बहुत करते है ,साधनों की भी कमी नहीं है.... पर लोग साधन के अभाव में मर रहे हैं ।

जानबूझ कर लोगों को काल की मूंह में पहुंचाना एक परम्परा सी इस देश में बन गई हैं । भूखमरी से लोगों को अनेक प्रकार की बिमरी आ घेरती हैं ,खून की कमी से बच्चे ग्रसीत हैं ,किशोरावस्था में गरीब घर की लड़किओं की जो दूर्गती होती हैं उसे लिखना भी कष्ट साध्य हैं ,जिस समय लड़कियों को पौष्टिक आहार की आवश्यकता हैं ,उसी समय यदि उसे भूखमरी की सामना करना पड़ें ,तो आगे जाकर देश के लिए माता बन कर वे कैसी सन्तान उत्पत्ति करेंगी यह तो सोचने की बात हैं ।

शासन सब कुछ जानती हैं , माताओं के लिए अनेक प्रकार की योजनायें भी प्रारंभ किया गया हैं पर उसका लाभ उसे कितना मिल पाता है ,यह तो परिस्थिति पर निर्भर करता है ।
गरिबी की बात तो एक और छोड़ दे, तो अमीर लोग भी आज सुरक्षित नहीं है । गुंडों के कारण रास्ते में चलना आज बहुत मुस्किल हो चुका हैं ,यदि गुंडों से बच भी गए तो भी सुरक्षित नहीं हैं ।

कब किस गाड़ी के नीचे कौन आ जाए, उसका कोई भरोसा भी नहीं ,रास्ते में तो अमीर -गरीब -नेता -कर्मचारि..अधिकारी सभी कीड़े मकदों की तरह पीसे जाते है। फिर हम किस विकास और उन्नती की बाते करते हैं ,समझ से परे है ।

बाजार से जो भी खाने पीने के लिए हम खरिदते हैं ,घर में यदि साफाई करके और उत्तम तरिके से उपयोग में लाया जाए ,तो भी हम नहीं कह सकते कि हमने सही आहार का सेवन किया है ,वह शरीर लिए दायक ही होगा ... हो सकता हैं कि हम घर की बनी हुई भोजन से ही अन्तिम श्वाश लेने लगे ,हम
बाहर सुरक्षित नहीं हैं ,जंगल में चले जाए तो वहॉं भी औद्योगिकरण का जो वातावरण तैयार हो चूका है जिसके चलते जंगल भी सुरक्षित नहीं रह गया हैं ,जंगली जानवर आज इस हद तक हिंसक बन चुका कि शहरों में आकर हाथी ,भालू ,शेर आदी हमला शुरू कर दिया हैं 1

बिहार के खगड़िया और दरभंगा जिले में नौका डुबने से 60 लोगों की मौत हो सकता हैं,और सरकार हर एक परिवार को 1लाख 50 हजार रूपये मुआवजा देती हैं तो 90 लाख रूपये तो एक झटके में जनता का ही चला गया ना ? आदमी का जान 1.5 लाख में सौदा हो गया ,कितनी सस्ती हैं आदमी का जान ! जबकि 100 जैकेट का किमत यदि 500 रूपये भी प्रति नग हो तो पचास हजार ही होती हैं ।

जहॉं नाव चलती है यदि पहले से ही सुरक्षा की व्यवस्था की जाती तो क्या 60 लोग डुबने नहीं बच सकते थें , नाव में प्रत्येक को सुरक्षित जैकेट पहनना आवश्यक होता हैं ,पर भारत में मनुष्य थोडे ही रहते हैं ,यहॉं तो प्राय: भेड़ बकरी ही नजर आने के कारण उनके किस्मत में हलाल या बली ही
लिखा है ।

गुरुवार, 1 अक्टूबर 2009

गाँधी जयंती पर--राम रावण की जय -----

हे गान्धीजी ! मैंने अनेक बार चाहा ताकि आपसे बहुत प्यार कर सकूँ ,आपको श्रेष्ट पुरूष मान कर दिल की गहरीई में बीठा सकूँ ,पर आज तक ऐसा नहीं हो सका , इसका अर्थ यह नहीं हैं कि मैं आपसे नफरत करता हूं ।

आपसे मानवता के खातिर नफरत कोई भी नहीं कर सकता ,विचार भिन्नता होते हुए भी नेताजी सुभाष ने ही आपको सबसे पहले महात्मा कहा था ,आज देश के अधिकांश लोगा आपको महात्मा के नाम से ही जानते है ।

मैं आपके राम -नाम जपते जपते-- पता नहीं कब मेरे मूंह से रावण -रावण भी आना शुरू हो गया हैं ,गलती मेरा नहीं है ,मैंने तो राम -राम ही सत्य हैं की कल्पना करता हूं .... पर मुंह में राम और बगल में छुरी रखने वाले लोगों को देखते हुए , आजकल मुझे राम-राम जपने वालों से बहुत भय होने लग गया हैं ।

रावण से मुझे भय नहीं लगता क्योंकि रावण आज सामने से वार करता हैं, और राम-नाम जपने वाले पीछे से , रावण से तो बचा जा सकता हैं , पर राम भक्तों से बचना आज कठीन हो गया है ।

हे गॉंन्धी जी ! आपके टोपी का तो क्या कहने ,टोपी के साथ और खादी के साथ दिन में न जाने कितने वार बलात्कार होता है .उसे यदि आप देखते तो हो सकता था कि , आप स्वयं ही आत्महत्या कर बैठते !

नाथूराम गोडसे ने तो आपकी शरीर को मारा हैं ,पर आपके चाहने वालों ने तो आपकी आत्मा को ही मार डाला है । गीता में कहा गया हैं कि ..आत्मा अमर हैं ,अजर हैं ,आजन्मा हैं ...पर कलियुग में आत्मा को मानने वालों को तो पिछड़ा ,अशिक्षित ,मूरख,और न जाने कौन -कौन सी अलंकारों से अलंकृत किया जाता हैं ।

कल आपका जन्म दिन हैं .... मै किस मूंह से आपको जन्म दिन का बधाई दूँ ॥ यह सोच-सोच कर परेशान भी हूँ , अभी पिछले कुछ साल पहले आपने सुनिल दत्त को साक्षात्कार दिया था ,दत्त जी तो आपके कृपा से माला माल हो गए हैं ,परन्तु मेरे जैसे को क्या आप कुछ सूनने का समय दे सकेंगें ?

आप मुझ पर अब नराज मत होईएगा ...... मैं अब न आपसे और न रावण से नफरत करूंगा ,राम और रावण दोनों को पूरक मानते हुए चलने का दिल चाहता है ।

लोहा -लोहा को काटता हैं ,जहर का दवाई भी जहर ही है ,अत: जब राम के नाम पर रावण ही अधिक हो गया, तो कोई रावण ही इसे खत्म कर सकता है ,अत: रावनम् शरणाम् गच्छामी .......

रावण तो अपने राज्य को स्वर्ण लंका बना दिया था ,यदि रावण जपते हुए मेरे देश भी स्वर्ण भारत बन जाए ,और इस लिए मेरे जैसे कुछ लोगों को गाली भी सहना पड़े , तो बहुत ही कम हैं .........
रावण जी को कहना चाहूंगा कि आपके बहन को यदि कोई नाक कान काट दे ,अपमान करें ,तो कलियुग में बदला लेने के लिए किसी की पत्नी को उठाकर न ले जाए ,हॉलाकि रामायण में सीता जी को बहुत ही इज्जत के साथ लंका पुरी में रखने की बाते लिखी हुई है ।

एक नारा आज क्यों नहीं दिया जा सकता है कि राम -रावण की जय !.

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