गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

गाँधी जयंती पर--राम रावण की जय -----

हे गान्धीजी ! मैंने अनेक बार चाहा ताकि आपसे बहुत प्यार कर सकूँ ,आपको श्रेष्ट पुरूष मान कर दिल की गहरीई में बीठा सकूँ ,पर आज तक ऐसा नहीं हो सका , इसका अर्थ यह नहीं हैं कि मैं आपसे नफरत करता हूं ।

आपसे मानवता के खातिर नफरत कोई भी नहीं कर सकता ,विचार भिन्नता होते हुए भी नेताजी सुभाष ने ही आपको सबसे पहले महात्मा कहा था ,आज देश के अधिकांश लोगा आपको महात्मा के नाम से ही जानते है ।

मैं आपके राम -नाम जपते जपते-- पता नहीं कब मेरे मूंह से रावण -रावण भी आना शुरू हो गया हैं ,गलती मेरा नहीं है ,मैंने तो राम -राम ही सत्य हैं की कल्पना करता हूं .... पर मुंह में राम और बगल में छुरी रखने वाले लोगों को देखते हुए , आजकल मुझे राम-राम जपने वालों से बहुत भय होने लग गया हैं ।

रावण से मुझे भय नहीं लगता क्योंकि रावण आज सामने से वार करता हैं, और राम-नाम जपने वाले पीछे से , रावण से तो बचा जा सकता हैं , पर राम भक्तों से बचना आज कठीन हो गया है ।

हे गॉंन्धी जी ! आपके टोपी का तो क्या कहने ,टोपी के साथ और खादी के साथ दिन में न जाने कितने वार बलात्कार होता है .उसे यदि आप देखते तो हो सकता था कि , आप स्वयं ही आत्महत्या कर बैठते !

नाथूराम गोडसे ने तो आपकी शरीर को मारा हैं ,पर आपके चाहने वालों ने तो आपकी आत्मा को ही मार डाला है । गीता में कहा गया हैं कि ..आत्मा अमर हैं ,अजर हैं ,आजन्मा हैं ...पर कलियुग में आत्मा को मानने वालों को तो पिछड़ा ,अशिक्षित ,मूरख,और न जाने कौन -कौन सी अलंकारों से अलंकृत किया जाता हैं ।

कल आपका जन्म दिन हैं .... मै किस मूंह से आपको जन्म दिन का बधाई दूँ ॥ यह सोच-सोच कर परेशान भी हूँ , अभी पिछले कुछ साल पहले आपने सुनिल दत्त को साक्षात्कार दिया था ,दत्त जी तो आपके कृपा से माला माल हो गए हैं ,परन्तु मेरे जैसे को क्या आप कुछ सूनने का समय दे सकेंगें ?

आप मुझ पर अब नराज मत होईएगा ...... मैं अब न आपसे और न रावण से नफरत करूंगा ,राम और रावण दोनों को पूरक मानते हुए चलने का दिल चाहता है ।

लोहा -लोहा को काटता हैं ,जहर का दवाई भी जहर ही है ,अत: जब राम के नाम पर रावण ही अधिक हो गया, तो कोई रावण ही इसे खत्म कर सकता है ,अत: रावनम् शरणाम् गच्छामी .......

रावण तो अपने राज्य को स्वर्ण लंका बना दिया था ,यदि रावण जपते हुए मेरे देश भी स्वर्ण भारत बन जाए ,और इस लिए मेरे जैसे कुछ लोगों को गाली भी सहना पड़े , तो बहुत ही कम हैं .........
रावण जी को कहना चाहूंगा कि आपके बहन को यदि कोई नाक कान काट दे ,अपमान करें ,तो कलियुग में बदला लेने के लिए किसी की पत्नी को उठाकर न ले जाए ,हॉलाकि रामायण में सीता जी को बहुत ही इज्जत के साथ लंका पुरी में रखने की बाते लिखी हुई है ।

एक नारा आज क्यों नहीं दिया जा सकता है कि राम -रावण की जय !.

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