बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

मोहन लाल गुप्ताजी के आलेख पर --देश के नैतिकवानों एक हो

कल ही मोहन लाल गुप्ता जी के आलेख पढने का मौका मिला ,मुझे बहुत अच्छा लगने के साथ ही साथ यह भी सोचने के लीए मजबूर कर दिया हैं कि क्या वास्तव में हम एक अराजकता की और एक दो कदम नहीं, परन्तु अनेक कदम बढा लिए हैं ? और उस कदम को आज पिछे लाने का कोई उपाय शेष नहीं रह गया है ..?

मैंने भी मेरे अनेक आलेखों के माध्यम से यही बात समाज के सामने रखने का प्रयत्न किया कि प्रतिभा ..सम्मान आदी मेरे देश की किस काम की है ....यदि उस प्रतिभा का लाभ मेरे देश को न मिले ! बड़े -बड़े धनवान लोगों से मेरे देश का क्या भला होने को हैं ...... शासन को उनके द्वारा कमाया हुआ रकम का कुछ हिस्सा जरूर मिल जाता है ,चुनाव के समय उन्हें चंदा मिल जाती हैं ,नाम मात्र के कुछ कर लाभ भी हो जाता है। बच्चों को उंची बेतन में नौकरी का लाभ प्राप्त होने के अलावा भी एक लाभ जो सुरा और सुन्दरियों पर समाप्त होकर आगे गुलामी सा नारकिया जीवन ....................

मोहन लाल गुप्ता ने इतिहास से अनेक उदारण देकर यह समझाने का प्रयत्न किया कि कोई प्रतिभाशाली व्यक्ति देशभक्त होगा यह जरूरी नहीं हैं और कम प्रतिभाशाली व्यक्ति यदि देशभक्त हैं तो देश के लिए अधिक उपयोगी हो सकता हैं ।

गुप्ता जी ! एक कदम आगे बढते हुए मैं तो यह कहना ज्यादा उपयुक्त समझता हूँ कि प्रतिभावान व्यक्ति ही इस देश के लिए अधिक खतरनाक है । अपवाद शब्द का उपयोग इसलिए कर रहा हूँ ताकि कोई दावा करें कि मुझमें प्रतिभा हैं परन्तु मैं देशभक्त हूँ ,ऐसे लोगों के लिए यह शब्द रखना जरूरी है ।
हमें आज अधिक प्रतिभावानों की आवश्यकता नहीं है ,कलेक्टर बनने के लिए आई ए एस जैसे प्रतियोगिता से अच्छा हैं कि गुप्त रूप से पता लगाना ज्यादा उपयुक्त होगा कि कौन इमानदार और देशभक्त है , हर शहर और गॉव में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो जनसेवा में इमानदारी से हमेशा सक्रिय रहते हैं ऐसे लोगा भले कम पढा लिखा हो उन्हें प्रशिक्षण देकर जिम्मेदारी दिया जा सकता हैं आज के सफेद हाथी पालने की अपेक्षा यह रास्ता मुझे अच्छा लगता है ।

अब यह बात तो स्पष्ट हैं कि हमारे व्यवस्था में ही कहीं खामियॉं आ गई हैं, जिसके चलते समाज में जिसे सम्मान मिलना चाहिए उन्हें सम्मान नहीं मिलता और जिन्हें बहिष्कार करना चाहिए उन्हें सम्मान दिया जा रहा हैं । सबसे पहले तो मानसीक रूप से हमें तैयारी करनी हैं कि हम लेखनी द्वारा समाज को अब जगाने का काम करने के साथ ही साथ इमानदार लोगों को एकत्रित करने के लिए एक मुहिम छेड़ा जाए ,यह आज वर्तमान समय के लिए एक पवीत्र कार्य होगा ................... मैं इस प्रकार के मुहिम में तन -मन -धन से सहयोग करूंगा । देश के नैतिकवानों ------------------

1 टिप्पणी:

  1. लाल गुप्‍ताजी के आलेख का लिंक भी दे दिया होता .. तो समझने में सुविधा होती .. वैसे आपने सही लिखा है !!

    जवाब देंहटाएं

translator