दिपावली आज धूल.धूर्त और धूओं का त्यौहार बन कर रह गया हैं ,जो जितनी कानफोडू आवाज के साथ फटाका फोडेंगे और वायु प्रदुषण से देश के जन जीवन को बरबाद करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहेंगे- वे उतने ही बड़े दिपावली हिरो कहलाएगा ,अरबों की कमाई वाली दिपावाली में जिनके पास लक्ष्मी जाना हैं वह तो कल धनतेरस के दिन ही जा चुकी हैं ,बाकी वे लक्ष्मी पुत्र पर्यावरण और जन जीवन के बारे में सोचते हुए असली मजा क्यों किरकिरा करें ............
कितने लोगों का कान का पर्दा फटेगा उसका तो गिनती नहीं है ,कई बच्चे जवान और लोग अपंग और स्वर्गवासी हो जाएँगे उसका भी सही पता भी लोगों को नहीं लगेगा ,मानसीक रूप से कमजोर लोग तो कल पागल की तरह उग्र हो जाऐगे क्योंकि उन्हें अधिक आवाज सहन नहीं होगा ।
दिपावली वर्तमान समय में द्वीपों का त्यौहार को फटाकों का त्यौहार कहें तो ज्यादा उपयुक्त होगा ,
मैं एक बार फिर धर्म संकट में पड़ गया हूँ ... मेरे चाहने वाले और न चाहने वालों को इस पर्व के लिए शुभकामना प्रेषित करूं कि नहीं ......... यदि पवित्र भावनाओं से मन और समाज को प्रकाशित करने के लिए यह त्यौहार मनाया जाए तो सभी को मेरी शुभकामना और पर्यावरण के दुश्मनों को अशुभकामना..........
शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009
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दिवाली पर सिर्फ शुभ शुभ!!!
जवाब देंहटाएंसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
सादर
-समीर लाल 'समीर'
बहुत ख़ूब कहाजी.........
जवाब देंहटाएंवाह !
आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की
हार्दिक बधाइयां