रविवार, 18 जनवरी 2009
परिवर्तन क्यौ ?
परिवर्तन एक साधारण शब्द लगता हैं ,परन्तु इस एक शब्द में दुनियाँ के संपूर्ण रहस्य छिपा हुआ हैं ,हम देखे तो परिवर्तन ही जीवन ,जीवन ही परिवर्तन हैं दुनियाँ में सब कुछ परिवर्तनशील हैं जो कल था आज नहीं हैं ,जो आज हैं वह कल नहीं रहेगा , आज का मनुष्य कल ऐसा ही रहेगा जरुरी नहीं हैं ,हिरोशिमा ,नागाशाकी के बच्चे आज भी साधारण जैसे नहीं लगते हैं ,जहरीला जीवन जीने को मजबूर बच्चों का क्या दोष हैं ?भारतवर्ष मैं जहाँ -जहाँ अणु-परमाणु प्रभावित हैं वहां के बच्चें विकलांग जन्म ले रहे हैं ,ऐसे बच्चें जीवन जीते नही हैं ,बल्कि जीवन को बोझ सा ढोते हैं ,प्रदूषित क्षेत्र के अधिकांश बच्चें जन्म से ही रोगी बनकर इस दुनियाँ में आते हैं ,वे जीवन भर घूंट -घूंट कर जीने को मजबूर के सिवाए कुछ नहीं कर सकते ,कुछ परिवर्तन प्रकितिक हैं ,जिसे रोकना हमारे वश में नहीं होता ,परन्तु विकास के नाम पर सम्पूर्ण जीव जगत नष्ट करने की जो योजना हमारे नेताओं द्वारा चलाया जा रहा हैं वह आत्मघाती हैं
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