रविवार, 25 जनवरी 2009

गणतंत्र बनाम शोषण तंत्र

जब जब २६ जनवरी आता हैं मैं बहुत दुखी हो जाता हूँ ,गणतंत्र नाम से जो व्यवस्था भारतवर्ष में चल रहा हैं इसमें गण अर्थात जनता ,नागरिकों को वोट देने के सिवाय कोई अधिकार नहीं हैं ,लिखित संविधान में अधिकार के अनेक बखान किया गया हैं परन्तु इस अधिकार का प्रयोग देश के मुट्ठी भर सम्पन्न अधिकारी, व्यापारी,नेता ही करते हैं, यदि जनता जागरूक होकर अपना अधिकार की बात करे तो उसे डंडे ,गोली, और जेल की हवा खाना ही नसीब में लिखा होता हैं ,अन्यायअत्याचार का विरोध करने के लिए शांतिप्रिय जुलुस निकालने पर सुरक्षा की बहाने बना कर चारोओर सशस्त्र जवानों द्वारा घेर कर,जनता के आवाज को दवाने का प्रयत्न किया जाता हैं भुखमरी ,गरीवी ,आतंकवाद ,सम्प्रदैकता
विदेशीपन आदि अनेक समस्याओ से ग्रसित देश को गणतंत्र कहना जनता या गण का अपमान हैं ,जरुरत हैं एक ओर गणतंत्र की संघर्ष का..

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