रविवार, 8 मार्च 2009

कोरबा जिले में तेजाब का वर्षा !!

अपने आप को कोसने के सिवाय मेरे पास कोई दूसरा विकल्प दिख भी नहीं रहा हैं ,खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंचे की कहावत मेरे साथ चरितार्थ होने लगा ,मेरे सामने कोरबा जिला का विनाश हो रहा है ओर मै इसका साक्षी हूँ ,विनाश चुप -चाप देख रहा हूँ ,कुछ लोगों को इस विनाश से अवगत कराने पर आगे चल कर विनाश में वे भी भागिदारी निवाहने लग जाते हैं ,कोरबा के चारों ओर गगन चुम्बी चिमनियों का ,और विजली तारों का साम्राज्य है ,जहॉं तक नजर जाता है केवल चिमनि और तार ,एक समय था जब बाल्को में आने पर शुद्ध हवा से मन प्रफुल्लित हो उठता था ,आज मन खिन्न हो जाता है ,बाल्को का पहचान पहले एल्युमिनियम से होता था ,अब इसका पहचान बिजली उत्पादन से होने लगा हैं ,पूर्व से ही बाल्कों के पास एक केप्तिक प्लांट है,बिजली की आपूर्ति इस प्लांट से हो जाता हैं ,परन्तु आज दो प्लांट हो गया हैं तिसरा चालू होने को हैं ,इन प्लांटों के लिए हजारों पेडों का हत्या कर दिया गया ,शासन -प्रशासन मूक दर्शक बन तमाशा देखती रही ,उच्चतम न्यायालय का आदेश को धता बताते हुए वन भूमि पर कब्जा कर, दो -दो प्लांटों को लगाकर बाल्को प्रशासन ने देश के सरकार और न्यायालय को यह बता दिया कि विदेशी लोग भारतीयों से आज भी बहुत आगे हैं और भारतीय लोग मात्र गुलामी के ही लायक हैं ,स्टार लाईट नाम से जो वेदान्ता ग्रुप भारत में व्यपार कर रही हैं यह नाम से तो भारतीय लगता हैं पर है विदेशी ,पहले इंग्लैण्ड से इष्ट इण्डिया कंपनी भारत आकर देश को गुलाम बना लिया था,आज नाम और भेष बदल कर अपने ही आदमीयों के माध्यम से देश पर कहर ढाए जा रहा हैं ।एक ओर विदेशी कंपनीयॉं कोरबा में विनाश का खेल खेलने में मग्न हैं ,दूसरी और स्वदेशी बनाम विदेशी कंपनीयॉं भी उससे दो कदम आगे हैं ,विस्तार योजना के नाम से छत्तीसगढ विद्युत मंडल ने कोरबा शहर के मध्य ही बिजली सयंत्र शुरू कर दिया , लेंको नाम के एक कंपनी ने हजारों एकड उपजाउ भूमि में बिजली उत्पादन काकार्य शुरू करने जा रहा हैं , बन्दना नाम के कंपनी भी पीछे क्यों रहे ,कोरबा से थोडी दूरी पर अपना ईकाइ चालु करेगी ,धीरू भाई का भी एक बिजली प्ला।ट यही आरही हैं ,एक और कोयला खदानों के कारण लोगों का जीना हराम हो चुका हैं दूसरी और राखड डैमों से निकलने वाली राख से राह चलना भी सुरक्षित नहीं हैं ,राख चिमनियों से निकलती हैं ,धूंआ भी चिमनियों से निकालकर लोगों के फेफडों को छलनी करता चला जा रहा हैं , प्रदूशण का आलम यह हैं कि प्रदुषण विभाग के एक अधिकारी ने नाम न बताने का अनुरोध पर कहा कि यदि सही स्थिति लोगों के सामने रखे तो उसकी नौकरी चली जावेगी ,प्रदुषण की रिपोर्ट भी दबा कर दी जा रही हैं , सरकार का कोई नीति नहीं रह गई , जहॉं इच्छा बिजली प्लांट लगाओं ,सैकडों गॉंवों को उजाडकर जो विनाश लीला मिलीभगत से चल रही हैं उसे देख कर ,सहन शक्ति भी जबाव दे रहा हैं ,यहॉं के हरामखोर नेताओं का यह हालत हैं कि कुत्तों की भॉंती चंद टुकड़े फेंक दो बस ,सब कुछ सही ,एक आवाज तक नहीं करेगा । मैने पढा हैं कि हजारों वर्षों तक भूकम्पों के कारण जो पेड पौधे आदी जमीन के नीचे दबी रहती हैं कालान्तर में कोयले का रूप ले लेता हैं ,इसका अर्थ यह हुआ कि हजारों वर्षों पूर्व यहॉ भुकंप जरूर हुआ होगा,तभी तो इतनी मात्रा में कोयला यहॉं मिल रहा हैं ,आज जो स्थिति कोरबा का निर्मित हो रहा हैं उसे देखकर लगता हैं कि अति शिघ्र भूकंप से इस जिले को कोई बचा नहीं पाएगा । कार्बनडाईअक्साइड से जो स्थिति निर्मित हो रहा है,उससे भूकंप से पहले तेजाब का वर्षा होने को कोई भी रोक नहीं पाएगा ,उस दिन विकास बनाम विनाश का सारा खेल खत्म हो जाएगा ,आने वाली पिढी यहॉं के नेताओ और उद्योग पतियों का क्या हालत करेगा , यह सोच कर मैं डर जाता हूँ ,पर यह पूर्वानुमान गलत न होगा ।

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