सोमवार, 27 जुलाई 2009
पढ़ा गया सूचि में भी गलती हो सकती हैं ?कृपया लिखे
राष्ट्रपिता-राष्ट्रमाता ,फ़िर राष्ट्रपति -राष्ट्रपत्नी क्यों नहीं--?
शनिवार, 25 जुलाई 2009
भूतपूर्व राष्ट्रपति कलाम जी का चीरहरण कर एक विमान कंपनी ने अपमान किया -यदि यही हाल राष्ट्रपत्नी का हो तो !!
गुरुवार, 23 जुलाई 2009
शिक्षिका को नंगी करके रंग रगड़ा गया -न्याय न मिलने पर मांग रही हैं इच्छा मृत्यु -2
जशपुर नगर के केंदपानी स्थित जिस पाठशाला में सुनीता पढाती थी वहॉं जातिवाद आज भी चरम सीमा पर हैं,अत: छुआछुत मानने वाले यह नहीं चाहते थे कि उनके बच्चों को एक नीच जाति के शिक्षिका पढाए , गॉंव के स्कुलों में मध्यान्ह भोजन की व्यावस्था सरकार द्वारा किया जाता हैं ,यदि सुनिता द्वारा बच्चों के भोजन को छु दिया जाता तो गॉंव के कुछ लोग उस भोजन को खाने नहीं देते थे छींटाकशी ,अपमान सभी सहन करते हुए सुनिता ने शिक्षण कार्य जारी रखा ,चूंकि सुनिता को गॉंव से भगाने की षडयंत्र कुछ लोगों ने रचा था, जिसके तरह दिनांक 11 मार्च 2009 ,पवीत्र होली के दिन बौखलाये हुए कुछ लोग सुनिता बंजुआ के घर में घुस कर उसे बाहर निकाले और उसे सेरेआम पिता और अबोध बालक समेत समस्त गॉंव वालों के समक्ष नंगे करते हुए सारे शरीर पर होली का रंग मलते हुए मौत का डर दिखाकर घंटों खड़ा करके ठहाकें लगाते रहे । इसके बाद जो कुछ हुआ इसकी जानकारी पूर्व लेख में दिया जा चुका है । चूंकि त्यौहारों के दिन शराब पीना आम बात हो गई हैं और गॉंव में तो सामान्य सी बात हैं, अत: होली के दिन सुनिता ने भी नशा की होगी ,इसी नशे का बहाना बना कर उन्ही लोगों ने एक शिक्षिका को सरेआम निर्वत्र कर मानव समाज को कलंकित कर दिया । इस मुद्दे को समाचार पत्रों द्वारा उठाया तो गया ,परन्तु प्रिंट मिडीया का कहीं नामोनिशाना नहीं मिलता । दिनांक 23 जुलाई 2009 को पुलिस ने गॉंव के कुछ लोगों को गि्रफ्तार किया ,परन्तु अब गॉंव के ही कुछ लोग शिक्षिका पर चरित्रहीन होने और शराबी होने का आरोप लगाते हुए कानूनी कार्यावाही को गलत साबित करने के लिए प्रशासन से मिलना शुरू किया हैं । बात शराबी होना ,चरित्रहीन होना आदी का नहीं हैं ,एक स्त्री को निर्वत्र कर उस पर रंग रगड़ते हुए, नंगे खड़े करना और फिर गांव से चले जाने को मजबूर करना....किसी भी किंमत पर स्वीकार्य नहीं हैं ।कल लिखा गया पोस्ट को मैंने रेजिश्ट्री करने हेतु तैयार रखा था ,परन्तु लेख चूँकि आग में घी का काम करता ,यह सोच कर पत्र को रेजिश्ट्री नहीं किया ,कुछ साथी शासन -प्रशासन पर दबाव बनने लगे है, ताकि सुनीता को न्याय मिल सकें ,लकिन मैं वर्तमान अराजक देश में यह आशा नहीं कर सकता कि आगे भी इसी तरह की घटना नहीं घटेगी !!!!ब्लोगार्स साथियों की सक्रियता और प्रतिक्रिया के कारण भी इस प्रकरण में नया मोढ लेना शुरू कर दिया है, महिनों भर चुप बैठी शासन -प्रशासन अब कुछ तो कर रही है ,हो सकता है यही `कुछ´अन्य संगठनों और महिला आयोग को भी सक्रिय कर दें ,मानवअधिकार के समर्थक भी आगे आए ...परन्तु हमें तो बर्बरता पर संघर्ष करते रहना है ।
बुधवार, 22 जुलाई 2009
शिक्षिका को नंगी कर सरेआम अंग-अंग में रंग रगड़ा गया --न्याय न मिलने से माँगा इच्छा मृत्यु
और समानता की दुहाई देने वाले समस्त संगठन भी मौन ...पुलिस जॉंच के नाम पर मात्र खाना पूर्ति कर प्रकरण को दबाने में लगे हुए हैं ,तात्कालिक थाना प्रभारी श्री भगत को लिखित शिकायत के साथ ही साथ पीड़िता श्रीमती सुनीता बंजुआ ने जिलाधीश डी.डी.सिंह को भी उचित कार्यावाही की गुहार लगाई थी ,परन्तु आज तक समस्त नारी जगत की अपमान पर सभी मौन हैं ,मजबूर होकर न्याय पाने की आश छोडकर शिक्षिका ने मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह व विभागीय शिक्षा मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल के समक्ष गुहार लगाई कि पल -पल पर अपमानित होकर जीने से अच्छा मुझे ईच्छा मृत्यु दी जाए और चूंकि एक अबोध बालक की जिम्मेदारी और बूढे पिता के भार भी सामने हैं, अत: मौत के बाद दोनों की सुरक्षा सरकार करें । आज सुनीता ग्राम कस्तूरा में जान बचाने की डर से निर्वासित जीवन बिता रही हैं ,मानवता की दुहाई देना बहुत अच्छा लगता हैं पर जब किसी पर अत्याचार होता हैं, ओर समय पर न्याय न मिलने के कारण आक्रोशित नारी भवानी की रूप लेकर वही कार्य करती हैं जो एक समय फूलन देवी ने किया था । आज यदि कोई नक्शली सुनीता बंजुआ से मिलकर यह कहने लगे कि अपमान का बदला लेने के लिए हथियार उठाओ तुम्हें इस नपुंशक समाज ,शासन -प्रशासन से न्याय नहीं मिल सकता हैं अत: शासन प्रशासन और जिन्होंने भी तुम्हारा अपमान किया है उसे गोलियों से भून डालों ...ईच्छा मृत्यु से तो अच्छा बदला लेकर मौत को गले लगाओं .....? सोचिए आगे क्या हो सकता है !!!! जब मैं सुनीता के बारे में लिख रहा हुं तो उन पर हो रही अन्याय के खिलाफ भी मुझे आवाज उठाना चहिए ,पर आज के माहौल में मैं कितना मजबूर हूँ कि .... अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने पर मुझे भी हो सकता हैं नक्शली होने का आरोप लगा कर असानी से अनिश्चित काल तक जेल में ठूंस दिया जाए , पर इच्छा मृत्यु चाहने से अच्छा और चुपके से मौत को गले लगाने से भला यह हैं कि ,छत्तीसगढ के राजधानी रायपुर में धरना देकर बैठ जाना ,मैं बचन देता हूँ कि सुनीता के साथ मै भी तब तक धरने में बैठा रहूंगा जब तक उन्हें न्याय न मिल जाए । समाज जिसे शुद्र कहकर अपमान करता हैं ,21 वीं सदी के दम्भ भरने वाले लोग कुत्तें को तो गोद में उठा कर चुमने से नहीं चुकते और मानव समाज को घृणा करते हैं , ऐसे ओछे लोग मनुष्य नहीं ...हैवान हैं...समाज के दुश्मन हैं , अत: इन लोगों के कारण अपने आप को अपमानित महशूस करने की आवश्यकता नहीं हैं ,नंगे ये समाज हैं, अपमान ये समाज के ठेकेदार हुए,धर्म के नाम पर उंच नीच ,भेद -भाव का जो खेल खेला जा रहा है उसका अन्त होना ही हैं, देर हो सकता हैं पर अन्धेर नहीं हो सकता । जो समाज ,जो देश मानवता की रक्षा न सकें वह समाज नपूंशक हैं ......इस समाज से नंगे पन के अलावा और क्या आशा किया जा सकता है ??? इसका एक प्रति श्रीमती सुनीता को रेजिष्ट्री पोस्ट द्वारा भेज दिया गया हैं , आगे जो भी होगा उस पर क्या हमारे ब्लोगर भाई -बहनें कुछ विचार और व्यावहारिक कदम उठाने हेतु आगे नहीं आ सकतें ?