मंगलवार, 7 जुलाई 2009
समलैंगिगता पर -अंधा बांटे कुत्ता खाय
समलैंगिकता पर लिखने के लिए बहुत दिनों से अपने आप को तैयार कर रहा था ,तैयारी इसलिए भी आवश्यक था क्योंकि मैंने एक माह के अन्तराल में लिंगानुभूति पर कुछ ज्यादा ही लिख दिया था ,मुझे भय लग रहा था कि कुछ लोग मुझे आयटम गर्ल जैसे आयटम ब्लोगर न समझ बैठे । हॉलाकि अभी भय कुछ कम हो गया ,फिर भी भय तो समलैंगिकों से बना हुआ है। कुछ दिन पूर्व ऐसे बहादूरों ने महानगर में बहुत बड़ी रैली निकाली ,नगाडों के थाप में ,ऐसे नाच रहे थे जैसे बंगाल जीतने की खूशी में अंग्रेजों के चहेते लार्ड क्लाईव ने रैली निकाली थी,कुछ इतिहासकारों ने लिखा था कि देखने वाले यदि उस रैली पर एक -एक पत्थर फेंका होता तो रैली वाले कुत्तों की मौत मरते । इस देश में तो कुत्तों की मौत पर लिखने में भी डर लगता है। क्योंकि कुत्ते प्रेमीयों की कमी नहीं हैं । कुत्ते प्रेमीयों के लिए इस वर्ष बहुत गर्व का हैं ,क्योंकि वे अब सीना ताने कह सकते है कि मेरे कुत्ता या कुतिया समलैंगिक नहीं है ,बात तो सही लगता हैं ,मैंने आज तक कुत्ते को किसी कुत्ते पर चढते नहीं देखा हैं , कुतिया के साथ तो झुंड के झुंड देखा जा सकता हैं । प्रकृति ने प्राणी को समलैंगिक नहीं बनाया ,विपरीत लिंगी में ही यौन सम्बन्ध हेतु उचित नियम बना हुआ है। अब देश के न्यायालयों पर मेरे जैसे लोग क्या टिप्पनी करें ,जो स्वयं ही लचार हैं ,पंगु हैं ,दुबीधा में समय गुजार रहे हैं उनके लिए टिप्पनी करना अच्छी बात नहीं है,जिस न्याय रूपी देवी के ऑंखों में पट्टी बन्धा हो ,उससे न्याय की कितनी आशा की जा सकती है यह तो सब समझने की बात हैं ,और सभी अन्दर की बात है। गंन्धारी ने तो पति के लिए ऑंखों में पट्टी बॉध ली थी ,हमारे न्याय देवी पता नहीं किसे अपना पति मानते हुए ऑंखों में आज भी पट्टी बॉंध रखी है। अंग्रेजों ने आजादी के पहले काले कोर्ट और न्याय देवी की आखों में पट्टी बंधने का दू:साहस किया था परन्तु आज भी कानून अन्धा हैं । अन्धा कानून से न्याय किसे मिलेगा ?अभी तो बलात्कार पर ३७६ धारा लगता हैं ,कल किसी बच्चों को उठाकर सामुहिक समलैंगिक का शिकार बनाया जाएगा ,बच्चे रोते -रोते घर में मॉं -बाप को शिकायत करने पर भी हम किसी पर कुछ भी करने लायक नहीं रहेंगे ,अराजकता की चरम सीमा ही कलियुग का अंत कहा गया हैं ,मुझे लगता है कि इस देश का अन्तिम समय आ चुका है। देश के हिजड़ों ने पुरुषों का लिंग काट कर अपने साथ मिला लिया करता हैं, ताकि दल भारी हो सके , अब समलैंगिकों को मजा आ जाएगा ,वे भी देश में अपना जुगाड़ लगाने शुरू कर देंगे । समलैंगिकता पर उपन्यास लिखा जाएगा , फिल्मों की बाढ आ जाएगी , प्रचार -प्रसार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ,शासकिय बजट में विशेष पैकेज का प्रावधान होगा । समलैंगिकों को समाज में महिमा मंडित करने के लिए नेता ,अभिनेता ,सरकारी साधु -सन्त सभी कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे । इसी को कहते हैं कि अन्धा बॉंटे और कुत्ता खाय ।
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waah !
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