एक शिक्षिका को सरेआम निर्वत्र कर अंग -अंग पर रंग रगड़ते हुए ,घर से बेघरबार होने को मजबूर सुनीता का दोष मात्र इतनी ही हैं कि वह एक शुद्र हैं !!!! ३० वर्षीया शिक्षा कर्मी जशपुर से लगा गांव केंदपानी संकूल, कस्तुरा में पदस्थ हुई ,अपनी 3 वर्षीय पुत्र और बूढे पिता के जिम्मेदारी लिए हुए एक परित्यक्ता की कहानी पर उसके मौत के बाद शानदार फिल्म बनने की इन्तेजार में आज भी न्याय नहीं मिला ,पुलिस और प्रशासन दोनों मौन ,घटना घटित हुए आज पॉंच माह बित चुका हैं ,नारी स्वतंत्रता
और समानता की दुहाई देने वाले समस्त संगठन भी मौन ...पुलिस जॉंच के नाम पर मात्र खाना पूर्ति कर प्रकरण को दबाने में लगे हुए हैं ,तात्कालिक थाना प्रभारी श्री भगत को लिखित शिकायत के साथ ही साथ पीड़िता श्रीमती सुनीता बंजुआ ने जिलाधीश डी.डी.सिंह को भी उचित कार्यावाही की गुहार लगाई थी ,परन्तु आज तक समस्त नारी जगत की अपमान पर सभी मौन हैं ,मजबूर होकर न्याय पाने की आश छोडकर शिक्षिका ने मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह व विभागीय शिक्षा मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल के समक्ष गुहार लगाई कि पल -पल पर अपमानित होकर जीने से अच्छा मुझे ईच्छा मृत्यु दी जाए और चूंकि एक अबोध बालक की जिम्मेदारी और बूढे पिता के भार भी सामने हैं, अत: मौत के बाद दोनों की सुरक्षा सरकार करें । आज सुनीता ग्राम कस्तूरा में जान बचाने की डर से निर्वासित जीवन बिता रही हैं ,मानवता की दुहाई देना बहुत अच्छा लगता हैं पर जब किसी पर अत्याचार होता हैं, ओर समय पर न्याय न मिलने के कारण आक्रोशित नारी भवानी की रूप लेकर वही कार्य करती हैं जो एक समय फूलन देवी ने किया था । आज यदि कोई नक्शली सुनीता बंजुआ से मिलकर यह कहने लगे कि अपमान का बदला लेने के लिए हथियार उठाओ तुम्हें इस नपुंशक समाज ,शासन -प्रशासन से न्याय नहीं मिल सकता हैं अत: शासन प्रशासन और जिन्होंने भी तुम्हारा अपमान किया है उसे गोलियों से भून डालों ...ईच्छा मृत्यु से तो अच्छा बदला लेकर मौत को गले लगाओं .....? सोचिए आगे क्या हो सकता है !!!! जब मैं सुनीता के बारे में लिख रहा हुं तो उन पर हो रही अन्याय के खिलाफ भी मुझे आवाज उठाना चहिए ,पर आज के माहौल में मैं कितना मजबूर हूँ कि .... अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने पर मुझे भी हो सकता हैं नक्शली होने का आरोप लगा कर असानी से अनिश्चित काल तक जेल में ठूंस दिया जाए , पर इच्छा मृत्यु चाहने से अच्छा और चुपके से मौत को गले लगाने से भला यह हैं कि ,छत्तीसगढ के राजधानी रायपुर में धरना देकर बैठ जाना ,मैं बचन देता हूँ कि सुनीता के साथ मै भी तब तक धरने में बैठा रहूंगा जब तक उन्हें न्याय न मिल जाए । समाज जिसे शुद्र कहकर अपमान करता हैं ,21 वीं सदी के दम्भ भरने वाले लोग कुत्तें को तो गोद में उठा कर चुमने से नहीं चुकते और मानव समाज को घृणा करते हैं , ऐसे ओछे लोग मनुष्य नहीं ...हैवान हैं...समाज के दुश्मन हैं , अत: इन लोगों के कारण अपने आप को अपमानित महशूस करने की आवश्यकता नहीं हैं ,नंगे ये समाज हैं, अपमान ये समाज के ठेकेदार हुए,धर्म के नाम पर उंच नीच ,भेद -भाव का जो खेल खेला जा रहा है उसका अन्त होना ही हैं, देर हो सकता हैं पर अन्धेर नहीं हो सकता । जो समाज ,जो देश मानवता की रक्षा न सकें वह समाज नपूंशक हैं ......इस समाज से नंगे पन के अलावा और क्या आशा किया जा सकता है ??? इसका एक प्रति श्रीमती सुनीता को रेजिष्ट्री पोस्ट द्वारा भेज दिया गया हैं , आगे जो भी होगा उस पर क्या हमारे ब्लोगर भाई -बहनें कुछ विचार और व्यावहारिक कदम उठाने हेतु आगे नहीं आ सकतें ?
बुधवार, 22 जुलाई 2009
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ऐसी घिनौनी हरकत पर शर्म आती है, ये केवल हिंदुस्तान में ही हो सकती है,आख़िर कब चैन से जीने देंगे हम इन्हें.....
जवाब देंहटाएंछत्तीसगढ़ को इस घटना पर शर्म आनी चाहिए। इस घटना के अपराधियों को अधिकतम दंड मिलना चाहिए। संभव हो तो मृ्त्युदंड। लेकिन पहले साबित होना चाहिए कि यह अपराध हुआ है।
जवाब देंहटाएंइस घटना ने मन विचलित कर दिया.....आप सच कह रहे हैं ..समाज खुद नंगा है ....और उसका प्रमाण है ये घटना..आप बताइये आप क्या चाहते हैं ब्लोग्गेर्स से ...मुझे एक बात और जानना है...इस घटना में राष्ट्रीय महिला आयोग ..और मीडिया की क्या भूमिका रही .....जो भी इस समाज पर कभी कभी घिन्न आती है तो कभी कभी रोष
जवाब देंहटाएंbehad durbhagy hai ki desh men is tarh kee ghatnayen lagataar ho rahee hain.
जवाब देंहटाएंझा साब कुछ दिनो पहले तक़ देश की जानी मानी हस्तियां मानवाधिकार के हनन को लेकर यंहा आकर हल्ला मचाती रही हैं। अरूंधति से लेकर मेधा और जाने कौन-कौन यंहा आये लेकिन उन लोगो के लिये जशपुर की गरीब महिला का मानवाधिकार नकसल समर्थ्क होने के आरोप मे बंद डा बिनायक सेन के मानवाधिकार से कम महत्वपूर्ण है इसलिये उन्हे महिला होने के बावज़ूद इस मामले का पता ही नही चला।फ़िर वो गरीब उन लोगो को हवाई जहाज का टिकट भी तो नही दे सकती ना।
जवाब देंहटाएंओह...इस घटना ने विचलित कर दिया। हमें इसे एक आंदोलन की शक्ल देनी होगी। हमें तमाम फोरमों पर आवाज उठानी है।
जवाब देंहटाएंओह...इस घटना ने विचलित कर दिया। हमें इसे एक आंदोलन की शक्ल देनी होगी। हमें तमाम फोरमों पर आवाज उठानी है।
जवाब देंहटाएंबड़ी ही शर्मनाक हरकत है, हो सके तो दोषियों को जिंदा गाड़कर सबक सिखाना चाहिए।
जवाब देंहटाएंआधुनिक समाज का यह एक निकृष्टतम् चेहरा है. दोषियों को कठोरतम दंड मिलना चाहिए........
जवाब देंहटाएंआधुनिक समाज का यह एक निकृष्टतम् चेहरा है. दोषियों को कठोरतम दंड मिलना चाहिए........
जवाब देंहटाएंमानवता को कलंकित करती हुई बेहद शर्मनाक घटना!!!!!!
जवाब देंहटाएंdukh
जवाब देंहटाएंdukh
dukh
bahut dukh diya is samaachar ne
karega
karega
krega nyay vah baansuri wala...................
दिमाग सन्न रह गया......कृपया बताएँगे यह निकृष्ट घटना कब क्यों और किसके द्वारा हुई.....
जवाब देंहटाएंवैसे कारण कितना भी बड़ा या जायज क्यों न रहा हो....किसी भी महिला के साथ यह कभी नहीं होना चाहिए.......निकृष्टतम् ......घोर निंदनीय है यह.......हम सब पीडिता के साथ हैं......
मामला बहुत ही दुखद है .पांच माह बीत जाने के बाद अभी तक कोई पहल न होना मानवाधिकार आयोग और अन्य संघटनों द्वारा एक्शन न लेना इनकी कार्यप्रणाली को दर्शाता है . इस मामले में जल्दी कार्यवाही की जाना चाहिए और अपराधियो को पहचान कर उन्हें कठोर से कठोर दंड दिया जाना चाहिए .....
जवाब देंहटाएंशर्मनाक घटना!!!
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