मंगलवार, 19 मई 2009
यह देश किसी का जागीर नहीं
एक मित्र ने फोन पर बार बार मुझसे कहने लगे कि वर्तमान चुनाव और आगे परिणाम पर विचार लिखूं ,मैंने मित्र से निवेदन किया कि वर्तमान राजनीति पर मैंने पूर्व में अनेक बार लिख चुका हैं और उन विचारों के अलावा आज लिखने के लिए मेरे पास कुछ भी नई नहीं हैं ,भाव वही रहेगा मात्र शब्द ही बदल सकता हैं ,मुझे शब्दों का खेल खेलना होता तो कवि बन जाता, जो मुझे आता ही नहीं । फिर भी यह बात सच हैं कि समयानुकूल शब्द को हेर -फेर करते हुए एक ही बात को या भाव को प्रकट किया जाए तो उसका प्रभाव मानव मन में पड़ता ही हैं और प्रभाव दो प्रकार से पड़ सकता है। यह साकारात्मक और नकारात्मक,दोनों हो सकता हैं ।किसी से प्यार करने की बात को गहराई तक पहूंचाने के लिए अनेक तरिकों का इस्तेमाल किया जाता है। और सभी तरिकों का एक ही अर्थ होता कि मैं तुमसे या आपसे प्यार करता हूँ । मैंने भी यही सब सोचा कि राजनीति को समझने और समझाने के लिए शब्दों का ही नवीनिकरण करते हुए कुछ तो विचार किया जाए ।क्या आम के पेड़ में अमरूद फल सकता हैं? मैंने फलते देखा हैं और मुझे आज तक आश्चर्य होता हैं जब -जब उस घटना के बारे में याद करता हूँ तो मुझे विश्वास ही नहीं होता कि ऐसा भी हो सकता हैं, पर जादूगरी की दुनियॉं में सब कुछ सम्भव हैं ।मैंने भी एक जादू में आम के पेड़ मेंअमरूद फलते देखा हैं ,जादू तो जादू होता हैं जीवन के वास्तविक धरातल पर जादू सा चमत्कार नहीं होता यदि होता भी हैं, तो अपवाद ही कहना अधिक उपयूक्त होगा । भारत जैसे देश में अभी चुनाव हुआ ,नतिजा निकला ,कहीं खुशी कहीं गम की हालत हम सब कोई देख भी रहे हैं एक पार्टी को अधिक व्होट मिल गया,देश में उसका मर्जी चलेगा ,करोड़पति सांसदों को चॉंदी हो गया ,उसके धन्धे में चार चॉंद लग जायगा ,उन्हें ठेका मिलेगा,नए धन्धे खोलने का लाईशेंस मिलने में को दिक्कत नहीं होगा ,किसी भी विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए अब उन्हें दौडधुप करने की आवश्यकता ही नहीं रहेगा ,वर्तमान समय में प्रदुषण विभाग ,वन विभाग की आनापत्ति उद्योग लगाने के लिए बहुत ही अहम बात हैं, अब करोड़पति सांसदों के लिए ये सब करना चुटकि की बात हो जाएगी । अब जिन्हें इस तरह की मौका नहीं मिलेगा उन्हें तो गम पीना ही पड़ेगा ,जीतने की खुशी इसलिए कि उन्हें देश की सम्पूर्ण संशाधनों पर हक जताने और उपयोग करने की खुली छुट मिल जायेगी ,हारने वालों को पॉंच साल तक इस छुट के लिए फिर इन्तेजार करना होगा जो बहुत ही कष्ट साध्य काम है। जरा अनुभव करने की बात हैं जिसने यह तपस्या किया कि इस बार मेरा प्रधान मत्री बनना पक्का, ऐन वक्त पर धोखा हो जाए तो उसका हालत क्या हो रहा होगा ? सभी को इस देश के संशाधनों पर नजर हैं ,देश सेवा,समाज सेवा,देशप्रेम यह सब तो आज नारे बनकर रह गया हैं ,विकास के नाम पर लोगों को छलने का जो सिलसिला जारी हैं आगे भी यही जारी रहना हैं देश के गरीब जनता,किसान, बेरोजगार, गरीबों के माता बहने करोड़पतियो ,अरबपतियों के लिए एक साधन मात्र हैं इन साधनों का वे जैसे चाहे इस्तेमाल करे,इसे पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक सा इस्तेमाल करेगा. हॉं नाम अलग- अलग हो सकता है। वर्तमान बनने वाली सरकार से मेरे जैसे लोगों को बहुत ज्यादा उम्मिद नहीं करना चाहिए और हारे हुए से भी आगे जितने पर उससे भी अधिक उम्मिद करना व्यार्थ है। हमने तो दोनों पक्षों को लम्बे समय से देखते हुए आ रहे हैं ,गिरगिट की तरह रंग बदलना ही इन्हें आती हैं ,गिरगिटों से हमें क्या को उम्मिद करनी चाहिए ? अब प्रश्न उठता हैं कि इस देश को अब बचायेगा कौन ?मुझे देश के युवा शक्ति पर आज भी विश्वास हैं ,देश के गद्दारों के कारण युवा शक्ति आज खण्डित जरूर दिखरहा हैं ,युवा शक्ति को नशिली पदार्थो का गुलाम बना कर देश के मुठि्ठ भर स्वार्थी तत्वों ने आज भारत पर नंगे नाचने की खुशी में मस्त हैं ,लेकिन भारत के युवा जागेगी ,जरूर जागेगी ,याद रखो यह देश किसी का जागीर नहीं ----
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