शुक्रवार, 12 जून 2009

कहीं मैं नरक में तो नहीं जाऊँगा ?

मैंने पाप और पुण्य पर अनेक बार गहन चिन्तन करने का प्रयन्त किया॥अनेक बार किया.. पर लगता हैं बार -बार मैं असफल हो जाता हूँ ,आचार्य श्री राम शर्मा ने लिखा कि हर असफलता यह दर्शाता हैं कि सफलता के लिए सही प्रयन्त नहीं किया गया हैं । अब सही प्रयन्त क्या होता हैं इसे आज तक मै समझ न सका,एक बार इसी प्रयन्त में मैने एक ऐसा कार्य कर बैठा कि आज सोचने पर भी आश्चर्य होता हैं ।हुआ यह. कि एक मित्र के दुकान में बैठा था, थोड़ी देर में वहॉं महिलाओं के एक दल चंदा मांगने आ गए ,अब मुझे भी कुछ शरारत सुझी ,मित्र को मैंने कहा कि तुम चंदा देने में जल्दीबाजी मत करो ,मैं कुछ प्रश्न पुछना चाहता हूँ । प्रथम प्रश्न पुछा था कि- आप लोग किस लिए चंदा मांग रहे हैं ? उत्तर - रामायण कथा के लिए । प्रश्न - आपलोग जानते हैं कि श्रीराम ने 5 माह की गर्भवती सीता को वगैर सूचना के जंगल में शेर -भालूओं के शिकार के लिए छोड़ दिए थे ? उत्तर -हॉं ,प्रश्न - आपलोगों को यह भी मालूम होगा कि श्री राम चन्द्र ने रावन वध के पश्चात सीता मैया को अपनाते समय ब्रम्हा जी को साक्षी स्वरूप बुला कर यह पुछे थे कि सीताजी पवित्र हैं या नहीं ? उत्तर -हॉं , प्रश्न -आपको पता होगा कि श्रीराम चन्द्र ने अपने अश्वमेध यज्ञ के समय लव और कुश को रामायण कथा सुनाने के लिए आयोध्या बुलाने के पश्चात जब पता लगा कि लव और कुश उनके ही पुत्र हैं, और सीता मैया को वन से राजमहल मे ले आए .. एवं दोनों पुत्र के सामने फिर से अग्नि परिक्षा देने को कहने पर धरती माता की छाती फट गई और सीता मैया उस फटे हुए धरती माता की छाती में समा गई ?उत्तर - हॉं । जब श्री राम चन्द्र मर्यदा पुरूषोत्तम थे तो नारी पर अत्याचार का यह एक अमर्यादित कार्य नहीं था ? उत्तर - मौन.... एक और रामचन्द्र नारी पर अत्याचार करते हैं दूसरी ओर श्रीकृष्ण नारीयों पर मेहरवान , भरी सभा में नारी का अपमान होते देख द्रोपदी की चिर को असीमित कर दिए । रासलीला की बात तो आज भी एक मिशाल हैं ,फिर गोवर्धन पर्वत को अंगुली में उठाना भी नारी सम्मान का एक विचित्र उदाहरण हैं । अब राधा -कृष्ण की प्रेम कहानी से बढ कर आज तक कोई प्रेम उच्च स्तर की परम्परा कायम नहीं रख सका हैं । प्रश्न - क्या नारीयों को, कृष्ण कथा अधिकाधिक प्रचार कर आज के समय में नारी अत्याचार से मुक्त होने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए ?उत्तर - सर ! हम लोग आपसे चंदा नहीं लेंगे ,परन्तु अगले वर्ष आपसे दुगना चंदा जरूर लेंगे और इस वर्ष रामायण कथा जरूर करेंगे, पर अगले वर्ष से कृष्ण कथा का ही प्रचार होगा । पता नहीं इससे मैंने कोई पाप किया हैं या नहीं.. लेकिन मुझे याद हैं मेरे दोस्त ने अगले वर्ष उन महिलाओं के आने पर दुगना चंदा अवश्य दे दिया था और मुझे सूचित भी किया ,कुछ प्रश्न जो बार -बार मुझे प्रेरित करता था कि किसी से रामायण के इस प्रसंग को पुछू, और जिज्ञासा वश महिलाओं से चर्चा किया था ,वे अब कृष्ण कथाओं में विशेष रूचि ले रहे है ,कहीं मैं नरक में तो नहीं जाउंगा ?

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