शुक्रवार, 19 जून 2009

मेरे साथ रोज बलात्कार होता हैं ,क्या मुझे न्याय मिलेगा ?

आज कल बलात्कार पर बहुत कुछ लिखा जा रहा हैं ,कुछ लोगों ने किसी लड़की को उठा कर ले गये और लड़की ने चिल्हाई ,लोग जमा हो गए ,एक आध लड़के पकड़ में आ जाने पर बलात्कार के रूप में हल्ला हो गया ,यदि लड़की नहीं चिल्हाई तो बलात्कार नहीं हुआ । अब मजेदार बात यह हैं कि किसी की पत्नी भी यदि रात को वो ..करते वक्त चिल्लाई ,तो हो सकता है पति बेचारा बलात्कार के आरोप में जेल जा पहुचे । कुछ लोगों ने बलात्कार के लिए छोटी कपड़े पहनने को विशेष कारण बताया हैं अर्थात लड़कियां यदि छोटी कपड़े पहने तो उस पर बलात्कार होने का जोखिम अधिक हो सकता हैं । मैं कभी बस्तर में रहता था , उस वक्त वहॉं कपड़े पहनने का रिवाज भी नहीं था , लड़के - लड़कियां को बीन कपडे देखना आम बात था, लेकिन अपबाद को छोड़कर आदिवासियों में बलात्कार की आरोपी सुनने को नहीं मिलता था । वहॉं तो घोटूल प्रथा भी हैं जहॉं रात को अविवाहित लड़के -लडकियॉं नाचते गाते वही सो भी जाते हैं फिर भी बलात्कार नहीं होता हैं । हत्या करना आम बात हो सकता हैं परन्तु बस्तर में बलात्कार आम बात नहीं है , यह भारतीय संस्कृति हैं । पश्चिम में ठंड अधिक होने के कारण काम वासना की ईच्छा भी ठंडे पड जाने से वहॉं की लड़कियां औरतों को समाज ने बीना कपड़े ही रहने को प्रोत्साहित किया करता हैं ताकि पुरुष में वासना की ईच्छा देख- देख कर ही उत्पन्न हो सके । तमाम प्रकार की दवाईयॉं लेकर भी यौन संतुष्टि नहीं हो पाता हैं ,भारत में तो ऐसा नहीं हैं , भारत वर्ष में प्राचीन काल में भी बलात्कार का प्रमाण मिलता हैं किन्तु आज जैसे विकृत रूप वहॉं वर्णन नहीं मिलता ,इसका अर्थ यह हुआ कि कपड़े छोटे हो या बड़े बलात्कार का सम्बन्ध कपडों से नहीं वल्कि परिवेष पर निर्भर होता हैं यदि युवा या युवतीयॉं परिश्रम में व्यास्त हैं तो उन्हें यौन सम्बन्ध पर सोचने तक का समय नहीं मिल पाता हैं । खाली दिमाग शैतान का घर होने के कारण बेरोजगार लोगों में यौन संतुष्टि को मनोरंजन के साधन के रूप में देखने का आदत सा पड़ गया हैं । मूल संस्कृति तो संयम साधना पर बल देती हैं ,हम मूल संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं , जिसके कारण अनेक प्रकार के विकृतियों में बलात्कार भी एक विकृति के रूप में समाज का अंग बनता जा रहा हैं ,बलात्कार एक विकृत मानसिकता है। यदि मानसिकता को बदलने की कोशिस किया जाए तो इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता हैं ,आज दिन रात टी वी में जिस तरह से नारी दर्शन कराया जाता हैं और चलचित्र में नायिकाओं को नंगी रूप से पेश किया जाता हैं उससे युवाओं का क्या कहना बुजुर्गों को भी लगता हैं कि इस ढलती उम्र में बहती गंगा में हाथ धो लिया जाए । परिवेष ही मनुष्य को अच्छी या बूरी बनाती हैं अत: परिवेश बनने की जिम्मेदारी जिन लोगों पर हैं यदि बलात्कार जैसे कोई भी घटना हो तो उन जिम्मेदार लोगों पर भी आरोप लगना आवश्यक हैं । अब बलात्कार मात्र किसी लड़की का ही नहीं होता ,लडकों पर भी बलात्कार होता है। आज तो सभी ओर बलात् कार्य कराने का आदत सा हो गया हैं यदि मैं किसी को घूस नहीं देना चाहता हूँ तो मुझे घूस देने के लिए मजबूर कर दिया जाता हैं । मैं मिलावट की वस्तुओं को खाना पसन्द नहीं करता तो मुझे मजबूरन मिलावट खाना पड़ता हैं ,मेरे साथ तो रोज बलात्कार होता हैं क्या मुझे न्याय मिल पाएगा ?

6 टिप्‍पणियां:

  1. बलात्कार को व्यापक सन्दर्भ मे देख रहे है आप भी तो अपनी इच्छाओं के साथ ,सपनो के साथ ,अरमानो के साथ रोज़ बलात्कार करते होंगे

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  2. अब मजेदार बात यह हैं कि किसी की पत्नी भी यदि रात को वो ..करते वक्त चिल्लाई ,तो हो सकता है पति बेचारा बलात्कार के आरोप में जेल जा पहुचे ।

    ये मजेदार बात नहीं है बल्कि हकीकत है। पत्नी होने का अर्थ नहीं आप जब चाहे अपनी मर्जी चला लें। इसको हल्के में लेने का अर्थ समझ नहीं आया।


    पश्चिम में ठंड अधिक होने के कारण काम वासना की ईच्छा भी ठंडे पड जाने से वहॉं की लड़कियां औरतों को समाज ने बीना कपड़े ही रहने को प्रोत्साहित किया करता हैं ताकि पुरुष में वासना की ईच्छा देख- देख कर ही उत्पन्न हो सके ।

    अब जैसे पश्चिम में भारत सपेरों का देश है वैसे ही भारत में भी पश्चिम के नाम पर कुछ भी कहने की छूट है तो इसमें आपका क्या दोष।

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  3. नही मिलेगा आपको न्याय भले ही रोज आपका बालात्कार होता रहे कोई भी आपके लिये आगे नहीं आयेगा जब तक कि को मीडिया का दल्ला आपके लिये आकर नहीं चिल्लायेगा।

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  4. खाली दिमाग शैतान का घर
    मिसाल हो गई पुरानी है
    खाली दिमाग ब्‍लॉग पर सवार
    सजी धजी नई कहानी है।

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  5. सोचना पड़ेगा!बात तो आप सही कह रहे हैं।

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  6. wah bhai wah kya likha hai mai toh kayar hoon our divana hoon aisi likhavat ka

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