शुक्रवार, 26 जून 2009

बंगलादेशी होना अपराध हैं -- इसलिए मार डालो

बंगलादेशीयों पर लगातार हमले हो रहे हैं ,और आगे भी होते रहेंगे, अच्छा हुआ कि बंगलादेशी आज गर्व के साथ नहीं कह पायेंगे कि मै बंगलादेशी हूँ ,बंगलादेशी होना बहुत बड़ा अपराध है। चाहे मुस्लिम हो ,चाहे हिन्दु हो यदि वे बंगलादेश से आए हैं तो उन पर हमला होना ही चाहिए, उसे कत्ल कर देना जरूरी है, क्योंकि वे बंगलादेशी है ........जब भारत वर्ष को नेताओं ने दो टुकड़े कर दिये थे और यह कहा गया था कि जो भी मुस्लिम पाकिस्थान जाना चाहे तो वे चले जाए और जो पाकिस्थान से भारत आना चाहे तो वे आ जाए ,पाकिस्थान से आए सभी पाकिस्थनियों को इस देश में बसाया गया ,उनमें सिन्धी ,पंजाबी और बंगाली सभी लोग थे । इस देश में आज कोई नहीं कहता कि सिन्धीयों को भगाओ ....पंजाबीयों को भगाओ ......परन्तु पाकिस्थान से स्वतंत्र हुए बंगलादेश के बंगालियों को भगाना चाहिए ,देश दो भागों में बॉंट दिया गया और मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता हूँ ,मुझे किसी का नाम लेने में भय भी नहीं लगता, कई बार ले चुका हूँ ,जब -जब उनका नाम लेता हूँ , तब -तब अपने आप पर घृणा होने लगता और अपने आप को कोसता रहता हूँ , ये नाम मेरे जूबान में नहीं आना चाहिए था ......मेरे भारत वर्ष को दो टुकड़े में बॉट कर राज करने वाले कौन लोग हैं ? क्यों नहीं बंगलादेशीयों को अपना देश चुनने का अधिकार दिया गया ? बंगला देश में तिरंगा झंडा फहराया गया था , एक भी बंगलादेशी पाकिस्थान में रहना नहीं चाहते थे ,वे सभी भारत को ही अपना देश मानते रहे । देश के गद्दारों ने षडयंत्र पूर्वक बंगलादेश को तस्तरी में करके पाकिस्थान को भेंट चढा दिया था ,मात्र इस लिए ...कि बंगाल ने बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर को संसद में जाने के लिए जिताया था ? उन्होंने कहॉं भी कि मुझे मेरे लोगों ने धोखा दिया है। महाराष्ट्र में उन्हें पराजय का मूंह देखना पड़ा था । श्री जोगेन मंडल ने अपना स्तीफा सौप कर बाबा साहेब को कहा था बाबा आप मात्र हॉं कर दिजीए बाकी बंगाल के एक एक नागरिक आपकों व्होट देगा, और यही हुआ भी । जब देश में एक वर्ग ऐसा था कि किसी भी किंमत पर साहेब को संसद में जाने से रोकना चाहते थे और उस समय यदि कोई भारी बहुमत से बाबा साहेब को जिता कर संसद में भेजे तो विरोधी वर्ग का क्या हाल हुआ होगा ......सोचने और कल्पना करने का विषय हैं । बंगाल के लोगों को कायर कहो , डरपोक कहो , गालियां दो क्योंकि एक वर्ग के न चाहते हुए भी बाबा साहेब संसद में पहंचे थे ,जिन्होंने उन्हें मद्द किया उन्हें सबक तो सिखाना ही हैं इसलिए इतिहाकारों ने लिखा कि तस्तरि में करके नेताओं ने बंगलादेश को पाकिस्थान के जिन्ना को भेंट प्रदान किया था ।आजादी का मुल्य तो देश के सभी वर्गो ने चुकाया हैं परन्तु बंगाल के लोग आज भी चूका रहे है। उनके सामने मजबूरी है कि वे आज भी यह मानने को राजी नहीं हैं कि भारत और बंगलादेश दोनों भीन्न -भीन्न देश है। दो कदम दूर मॉं रहती है और दो कदम में मौसी ...बच्चा क्या करें ? उसे मॉं भी चाहिए और मौसी भी । दिन में बंगलादेश के मौसी के पास चला जाता है और शाम तक वहॉं से लौट आता है। यह हालत जैसे हिन्दुओं का है ,वैसे ही मुस्लिमों का । हम किसी देश का नाम बदलकर बंगलादेश रख सकते है हो सकता है कि आगे चलकर कोई दूसरा नाम भी रख ले परन्तु क्या हजारों वर्षों का इतिहास मन मस्तिष्क से हम भूला सकेंगें ? हमने सुरक्षा के लिए प्रहरी लगा दिया ,पर वे भी तो मनुष्य ही है ,जब देखता हैं कि सुबह शाम आना और जाना लगा हुआ है तो आय का भी एक साधन को कौन छोड़ना चाहेगा ? यही तो सब हो रहा है। मैं मानता हूं कि मिलने मिलाने की इस खेल में कुछ हानी हमें उठानी पड़ रही है परन्तु इस हानी के लिए आज के इस पिढी दोशी नहीं हैं यदि इस दोष को दूर करना हो, तो दोनों देश को एक करना ही पड़ेगा । ऐतिहासिक भूल को इतिहास की चश्मे से ही देखना होगा, न की क्षणिक आवेग में जो चाहे वो कह दिया ,लिख दिया, और भावनात्मक रूप से किसी को भागने और भगाने की कार्यवाही करने लगे । यह तो समस्या का समाधान नहीं है। देश को वाटने का जो समस्या हमारे पूर्वजों ने हम पर थौपा हैं ,उस समस्या का समाधान करना हमारा प्राश्चित हैं और हमें इसे सहर्ष स्वीकार करना ही पड़ेगा ।

1 टिप्पणी:

  1. अति भावुक लेख। इतना उबाल कि वर्तनी और वर्णों का सही प्रयोग जैसी सामान्य सी सावधानियाँ भी पीछे रह गई हैं।

    मुद्दा तो बहुत गम्भीर उठाया आप ने लेकिन ऐतिहासिक भूलें अब वास्तविकता हो स्थापित हो चुकी हैं। बँटवारा तो होना ही नहीं चाहिए था। लेकिन क्या करिएगा? हो गया। अब तो इस जमाने में जीना है और आज यह एक सचाई है कि करोड़ो बँगलादेशी अवैध रूप से यहाँ रह और खेल खा रहे हैं। खेल उनके बड़े खतरनाक हैं। इसलिए उनकी पहचान कर वापस भेजना ही हल है। सीमा प्रहरियों के भ्रष्टाचारण से या भौगोलिक कारणों से हो रही इनकी घुसपैठ रोकनी ही होगी। भारत देश कोई कूड़े का डिब्बा नहीं है जहाँ पड़ोसी देश अपना कूड़ा फेंकते रहें।

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