बुधवार, 3 जून 2009

माँ की दूध में जहर

दुध व्यापारीयों के धंधे में कुछ न कुछ विपत्तियॉं हमेशा मंडारता रहता हैं ,अभी हाल में ही जयपुर के आसपास खाद्य विभाग द्वारा छापामारी की कार्यवाही की गई ,बाताया जाता हैं कि लगभम 70 प्रतिशत दुध नकली पाया गया । दुध में कई तरह की जहरिला रसायनिक पदार्थ मिला हुआ पाया गया , दुध में पानी मिला कर बेचना तो आम बात हैं परन्तु पानी में दुध मिलाकर बेचना भी आम होने के साथ साथ गन्दी पानी मिलाना भी एक रीवाज बन चुका हैं । एक समाचार पढते हुए मैं अवाक रह गया था , समाचार में दुध में छोटी -छोटी मछलियॉं तैरते पाया गया । जब दुधवाले से पूछा गया तो उसने बताया कि जिस तलाब से पानी निकालकर दुध में मिलाया गया था उसमें मछलियॉं बहुत होने के कारण यह स्थिति निर्मित हो गई । परन्तु बाद में दुधवाले का क्या हुआ पता नहीं । दुध की शिकायत तो प्राय: सभी को होता हैं यदि दुध सही और गाढा भी मिल जाए तो मन में शंका होने लगता हैं कि जरूर दुध में मिलावट हैं नही तो दुध इतने गाढा क्यों हैं ? दुध एक शक की पदार्थ बन कर रह गया हैं । दुध मिलावट की बात तो कुछ हजम भी हो जाए तो कृत्रिम दुध के बारे में सुन कर भी रोंगटे खड़ी हो जाती हैं ,साबुन ,युरिया ,कास्टिक सोडा ,सफेद मिट्टि ,और न जाने क्या क्या मिलाकर दुध बेचा जाता हैं यही दुध बड़े चाव से हम बच्चों को पिलाते हैं रोगीयों को ,बुजूर्गो को और परिवार के सभी सदस्य दुध पीने में बहुत गर्व महशूस करते हैं । एक खबरऔर हैं -मॉं के दुध में भी आज जहर मिला हुआ पाया गया । प्रश्न यह हैं कि मॉं के दुध में जहर कहॉं से आ गया ? उत्तर भी खबर में ही था कि हम जो खाना खाते हैं उसमें भी अनेक रसायनिक पदार्थ मिला हुआ होने के कारण खाने के साथ वह जहर हमारे शरीर में चले जाने से माता पर भी उसका प्रभाव पड़ता हैं । उपज बढाने के नाम से खेत में रसायनिक खाद का प्रचुर मात्रा में उपयोग किया जाता हैं जिससे उपज तो कुछ समय तक बढ सकता हैं परन्तु आगे जाकर खेत बेकार और अनुपजाउ हो कर पड़ती भुमि में परिवर्त्तित होकर किसानों के लिए आत्महत्या का भी एक कारण बन जाता हैं । शिशु काल से ही बच्चे यदि जहर पीकर इस दुनियॉं में आता हो ,तो आगे चलकर वे बच्चे दुनियॉं को क्या अमृत पीलाएगा ? आज देश में जहरीला इंसान ही अधिक देखने को मिलेगा ,haad मॉंस के, दो पैर के मनुष्य ,इन्सान न बनकर जहरीला हैवान बन जाता हैं ।कहा जाता हैंकि जैसे खावे अन्न वैसे उपजे मन , भारत वर्ष में तो खाने का स्तर भी स्पस्ट हैं सात्विक , राजसिक,तामसिक ,आदी भोजन का प्रभाव भी मानव ‘शरीर में अलग -अलग पड़ता ही हैं । आज प्रत्येक दिशाओं में जहर ही जहर का खेल खेला जा रहा हैं ओर हम चुप चाप साक्षी बनकर देख रहे हैं , शासन प्रशासन भी जहर बेचने और बिचवाने में लगा रहता हैं । कुछ समय पूर्व शीतल पेय पदार्थ के नाम से देश में बेचने वाली पेप्सी कोका कोला कंपनी पर प्रश्न चिन्ह लग गया था , यह भी अनेक जॉंच के पश्चात सामने आया कि अमेरिकी कंपनी ने देश में जो शीतल पेय के नाम से बेचती हैं उसमें भी यूरिया, डी,डी।टी ,अफीम ,कार्बनडाई अक्साईडऔर अनेक प्रकार के कीट नाशक मिलाया जाता हैं ,देश में हल्ला हुआ ,बात संसद तक पहूंची एक कमिटी बैठी ,रिपोर्ट संसद में पेश हुआ ,गर्मागर्म बहस भी चली परन्तु देश में जहर बेचने वाली कंपनी का बाल भी बॉंका नहीं हो सका ,आज भी डंके के चोट में पेप्सी और कोकाकोला कंपनी अपनी जहरीलि पदार्थ को बेचकर देश को जहर मय बनाने में लगी हुई हैं । कह तो यहॉं हैं कि जो इसे पीता वह अच्छा और बूरा सोचने का ‘शक्ति भी खो देता हैं ।देश के नेता भी तो यही चाहते हैं कि जनता जहर पी पी कर मस्त रहे और वे मूर्दो पर राज करें । जहरीला दुध बेचने में कहीं पेप्सी कोका जैसे बदनाम कंपनीयों का हाथ तो नहीं हैं ?

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