शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009

दीपवली में बचत ही धन की बरकत हैं --नहीं तो कंगाली

आस्थाओं का दोहन हजारों वर्षों से चली आ रही है ,हम चन्द्रमॉं –मंगल –आदी ग्रहों की बातें करते है परन्तु हजारों वर्षों से जो विज्ञापण द्वारा मानसीक जड़ता पैदा किया गया हैं , उन जड़ताओं पर कुठाराघात करने में हम भयभीत हो जाते है । पूजा -पाठ से क्या आज तक किसी की गरिबी हटी है ....? हजारों वर्षों तक पिढी दर पिढी पूजा अर्चना करने वालों को तो गरिब होने की सवाल ही पैदा नहीं होना चाहिए था ,लेकिन उनकी गरिबी क्यों नहीं हटी ----???????

देश में जितने प्रकार के त्यौहार आज प्रचलित है ,और नए -नए त्यौहार भी चलाकी से बाजार में बिक्री हेतु पेश किया जा रहा है .... चलाक व्यपारी अपने घर में लक्ष्मी को बॉंधकर रखने के लिए एक से एक नियम समाज में विज्ञापित किया हैं , सॉठगॉठ करके हजारों सालों से मानसीक और आर्थिक शोषण का सिलसिला जारी है।

वैश्य और तथाकथित ब्रह्मणों ने मिलकर समाज से अधिकाधिक लाभ उठाने की पुरजोर कोशिस में आज भी कामयाब हैं । यदि दिपावली में लक्ष्मी किसी के पास आती है तो ये दोनों वर्गो के पास ही स्पष्ट रूप से दिखता हैं ,आज पूजापाठ के नाम पर धर्म के ठेकेदार -और दलालों को लक्ष्मीजी वरदान देगी , बनिये तो धनतेरस के नाम से लोगों को जिस तहर से लूटा हैं वह सुधी जनों से छिपा नहीं है।

लक्ष्मी पूजन करने के लिए जिस विधान आदी प्रचलित की गई हैं उसकी पुर्ति के लिए सिधे बनिये और तथाकथित ब्राह्मणों के पास ही रकम लेकर जाना होता है। जिसके पास रकम एकत्रित हो रहा है वे धनवान और उनके पास लक्ष्मी का वास होगा ..... या जिसके घर से लक्ष्मी बाहर जा रही हैं उसके पास लक्ष्मी रहेगी .....? हर त्यौहारों की छुपी हुई राज पैसा कमाने का होड हैं , हम समझते है कि यह धार्मिक कार्य हैं, इसे नहीं करने से हम कंगाल हो जाऐंगे , जबकि इस भय से हम लगातार कंगाल होते जा रहे है, इस बात को स्पष्ट रूप से हमें समझना होंगा ।

लक्ष्मी पूजन वही हैं जहॉं धन एकत्रित हो ,,,,फटाका फोड़कर धन की बरबादी से लक्ष्मी कहॉं से आयेगी ---? दिपावली के रात जुआ खेला जाएगा , पूजापाठ करों और प्रसाद --पकवान अधिक खाकर पेट खराब करके डाक्टरों के पास भागो ......जुआ खेलो ...शराब पिओ ओर पिलाओं ...ऐसे अनेक प्रकार के विधाओं से धन की बरबादी होती हैं ,अत: धन की बरबादी रोकना ही लक्ष्मी जी का बरकत हैं ..................

बिजली विभाग का एक नारा हैं कि बिजली की बचत ही बिजली का उत्पादन हैं ,इसलिए धन की बचत ही धन की उत्पादन हैं । सीधी सी बात भी लोगों को समझमे न आवे तो चुल्लु भर पानी में मर जाना अच्छा हैं । पूजा पाठ ,टोटका ,तांत्रिक क्रिया ,आदी से लक्ष्मी खुश नहीं होते ....लक्ष्मी चंचला हैं उसे रोकने के लिए धन की बरबादी को रोकना अतिआवश्यक हैं ।

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपको दीपावली की बधाई.
    दीपक भारतदीप

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  2. बन्धुवर राय साहेब !

    आपका एक एक लफ्ज़ सही और सटीक है ........उत्सव के नाम पर लगातार लक्ष्मीजी का अपमान किया जा रहा है

    होना तो ये चाहिए कि इस दिन हर घर में पैसा आए , खुशियाँ आए, नैरोग्य आए लेकिन हो इस से उलटा रहा है । जिस व्यक्ति के पास कल अपनी औलाद को कपड़े दिलाने के लिए या ख़ुद का स्वास्थ्य चैक कराने के लिए dr की फीस नहीं थी आज वह लोगों से उधार ले कर पटाखे चलाएगा............ ख़ुद को बिस्किट खाने के पैसे नहीं होंगे लेकिन आस पडौस में मिठाई बांटेगा ............घर में रंग कराएगा ........रौशनी करेगा । यानि सीधे सीधे रुपयों को आग लगायेगा और यही आग उसे आने वाली दिवाली तक जलाती रहेगी...........

    पता नहीं लोग कब समझेंगे कि पैसा कमाना और पैसा बचाना दोनों ही एक समान है.........


    आपका लेख अच्छा लगा ...........क्षमा करें आवेश में टिप्पणी थोड़ी लम्बा गई ,काट लेना भाई..........


    आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की

    हार्दिक बधाइयां

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  3. दीपावली की आपको तथा आपके परिवार को शुभकामनाएं !!

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  4. सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    सादर

    -समीर लाल 'समीर'

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  5. अलबेला खत्री जी ! दीपावली पर आपका टिप्पनी पढ कर वास्तव में मुझे ऐसा लगा कि मैं इस तरह की मुहिम में अकेला नहीं है । हम भावना प्रधान लोग हैं ,मनुश्य भावना -प्रेम -दया -क्षमा आदी का जीता जगता ईश्वरीय वरदान हैं ,जिन लोगों में आवेश -भावना आदी का अभाव हैं वह तो जीवित लाश और दो पहिए का पशुतुल्य हैं ।

    मैं भी जब लिखता हंूू तो छोट करके नहीं लिख सकता ,जब विस्तार से लिखने पर भी लोगों का प्रतिक्रिया लगभग ‘ाुन्य हैं तो सक्षेप में कितने लोग हम जैसों केा समझ सकेंगे र्षोर्षो

    ब्लॉगवाणी ने जो अवसर हमें प्रदान किया हैं उसका अधिकाधिक जनजागरण के काम में उपयोगा हो सकें यही मंशा के साथ लिखना ‘ाुरू किया था ,आप जैसे अच्छे लोग भी यदि इस तरह की काम में हाथ बटायें तों मैं दावे के साथ कह सकता हंूं कि हम विश्व गुरू के पद पर फिर से आसीन हो सकते हैं ,आपने एक कार्यक्रम में ऐसा ही सपना देखा हैं ..........हम सभी का सपना साकार हो यही ‘ाुभकामनाओं के साथ ..................साित्वक दीपवाली आप और आपके परिवार को मंगलमय हो .....´´´´´´´´´´´´´´

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