मंगलवार, 26 मई 2009

राष्ट्र गीत तुम्हारा जय हो -----

जन अर्थात जनता ,गण अर्थात जनता के समूह ,मन अर्थात मानव भाव –विचार आदी ,अधिनायक अर्थात सर्वोच्च सत्ता ,डिक्टेटर ,जय हे । भारत भाग्य विधाता -तुम ही हमारे किस्मत को लिखने वाले विधाता –भगवान हो ।
हे भारत वर्ष के जन-गण-मन के सर्वोच्च सत्ता अधिनायक ,डिक्टेटर तुम्हारा जय हो ।तुम्हीं हमारे भाग्य विधाता भगवान हो ।
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्रविड उत्कल बंग ,तब नामे जागे ,तब शुभ आशीष मांगे ,गाहे तब जय गाथा । वर्तमान पंजाब ,सिन्धु आज पाकिस्थान में चला गया हैं । गुजरात ,मराठा -महाराष्ट्र ,उत्कल-उड़ीसा ,बंग -बंगाल ,पूर्व में बंग का अर्थ बंगलादेश से भी जोड़ दिया जाता था , आज भिन्न देश हैं ,ये सभी तुम्हारे शुभचिन्ता के साथ जगते हैं ,भगवान से तुम्हारा ही शुभ भावना मांगते हैं ,देश के सभी लोग तुम्हारा ही जय जय कार करते हैं । यहॉं तक कि देश के पवीत्र नदियॉं ,पहाड़ ,पर्वत ,हिमालय तक तुम्हारे गुण गान में मग्न हैं इसलिए हे भाग्य विधाता ,अधिनायक! तुम्हारा जय हो,जय हो .जय हो! इस गीत को गा कर कविवर रविन्द्र नाथ टैगोर इंग्लैण्ड के सम्राट जो भारत के भी सम्राट थे जार्ज पंचम के सामने दण्डवत हो गए थे ,कहते हैं कि अंग्रेजों के भक्त को टैगोर के उपाधी के साथ नोवल पुरस्कार भी रविन्द्र नाथ ठाकुर को प्राप्त हो गया था । कौन हैं आज अधिनायक ? वर्तमान में भारत को प्रजातांत्रिक देश कहते ,यहॉं तो अधिनायक तंत्र हैं ही नही, भारतीय संविधान में तो कहीं अधिनायक तंत्र का जिक्र भी नहीं हैं , फिर भी आज गुलामी के जमाने की गीत को हम गाकर अंग्रेजों के गुण गान करते रहते हैं इसलिए तो कहा जाता हैं कि भारत महान हैं, सत्य ही हैं कि हम बहुत बडे देश भक्त है। जिसका एक बार नमक खा लिया उसके साथ नमक हलाली कदापि सम्भव नहीं । भले ही सर कट जाए पर अंग्रेजों की शुभ कामना तो करना ही हैं ,भारत वर्ष आज भी अंग्रेजों का ही तो एक कालोनी हैं ! राष्ट्र गीत तुम्हारा जय हो , लिखने वाले का भी जय हो ।

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