सोमवार, 25 मई 2009

प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह किस खेत की मुली हैं

मनमोहन जी अर्थात देश के दूसरी प्रधानमंत्री के बारे में आज की स्थिति में कुछ कहने का मतलब अपने आप को मूर्ख साबित करने जैसा ही हैं ,लेकिन मुझे लगता हैं कि यदि औसत लोग के सामने मूर्ख हो कर भी यदि कुछ लोग ही तथ्यों को समझने में अक्ल का इस्तेमाल करें तो हो सकता हैं कुछ नई बात सामने आ सकें । चुनाव जितना और सरकार बनाना इस देश में एक फैशन छोडकर कुछ भी नहीं ,आप कह सकते हैं कि इतने बहुमत में जितने के बाद भी इस तरह की टिप्पनी किया जाना ठीक नहीं हैं । जरा व्होटों पर यदि ध्यान दिया जाए तो कितने प्रतिशत जनता ने व्होट डालें होंगे ,औसत 50 प्रतिशत से भी कम ,इन 50 प्रतिशत व्होटों में एक एक दल को कितने व्होट मिलें ?यदि कोई आधा ही व्होट पा जाए तो राजा बन गये ,अर्थात कुल मत का एक चौथाई में ही देश के भाग्यविधाता बन बैठे हैं । 100 में यदि किसी विद्यार्थी को 33 अंक न मिले तो उसे फेल कर दिया जाता हैं और देश के भाग्य विधाता बनने के लिए मात्र 25 अंक से नीचे होने पर भी चलता हैं और इस 25 प्रतिशत के मुखिया प्रधान मंत्री बनेंगे ,वह भी शान से । जरा सोचने की बात हैं यदि किसी घर के बच्चे ने परीक्षा में मात्र 33 प्रतिशत लेकर आए तो घर की स्थिति कैसी रहती हैं वह तो भुक्तभोगी ही अनुभव कर सकते हैं लेकिन देश के किसी दल को जब इससे भी कम अंक मिले तो कुछ लोग झुम उठते हैं , नगाड़े बजने लगते हैं, लड्डु बांटी जाती हैं । कितनी शर्म बात हैं कि इस देश में 25 फिसदी वाले 75 फिसदी पर राज करेंगे और 75 फिसदी भिगी बिल्ली बने उनके जी हुजुरी करेंगें । एक बात याद आती हैं जब अंग्रेजों ने प्लासी का युद्ध, बंगाल के सम्राट सिराजूदौला के बेईमान ,देशद्रोही सेनापति मीरजाफर के गद्दारी के कारण जीता, तो बंगाल में एक विजय जूलूस निकाला गया था । इतिहास में लिखा हैं कि इस जुलूस में अंग्रेंजों के मात्र 400 फौजी वेशधरी शामिल थे,और सामने लार्ड क्लाईव बडे शान से आगे बढते हुए बंगाल को गुलाम बना लिया । क्या आज भी इससे कुछ कम दिखने को मिल रहा हैं ? धिक्कार हैं ऐसी लोगतंत्र पर, जहॉं लोक कम और तंत्र लोगों पर हाबी हैं । तभी तो अल्प मत होने के पश्चात भी हम उनके गुलाम बने हुए हैं । ये मुठि्ठभर काले अंग्रेज आज भी देश पर राज जमाए हुए हैं ,हर चुनाव में उनके नंगी नाच मुझे बंगाल में विजय जुलूस याद करा कर चिडाती रहती हैं मेरा उपहास उडाता हैं, मैं मात्र मुक दर्शक होकर देखता रहता हूँ ,कायर जैसा ,नमक हलाल सा !! किसे कहे कि देश में जितने अर्थशास्त्री हैं ,अपवाद छोडकर सभी अनर्थशास्त्री हैं ,जब भारतीय अर्थ व्यावस्था पतन की ओर होता हैं तो ये सभी घर में दुबके बैठे रहते हैं और जब देश में अचानक अर्थव्यावस्था में सुधार होने लगता हैं तो उसका श्रेय लेने के लिए ये दौड़े चले आते हैं । समाचार पत्र में ,मिडिया में अपनी बडे -बडे बखानों से जनता को ऐसा समझाया जाता है जैसे ये ही महाबली हैं इन्ही लोगों के कारण ही शेयर बाजार उठता और गर्त में जाता हैं । जब बाजार गर्त को जाता हैं तो विदेशी शेयर बाजार और विश्व अर्थव्यावस्था का दुहाई देते हुए मेंढक जैसे कहीं गायब हो जाना और जैसे ही वर्षा होने लगता हैं तो टर्र -टर्र की आवाज से घर में रहना भी असम्भव हो जाता हैं । जब देश के लाखों करोड़ रूपये जब डुब चुका हैं ,लाखों लोगों का रोजगार छीन गया हैं ,हजारों लोगों ने ,हजारों किसानों ने आत्महत्या कर लिए और आज भी स्थीति कोई अच्छी नहीं कहीं जा सकती हैं ,मनमोहन जी के प्रधानमंत्री बनते ही खाद्य सामग्री का मूल्य बढने लगा हैं ,मात्र शेयर बाजार के बढने से देश को राजी रोटी ,सुख-चैन की जीवन नहीं मिल सकती हैं । जब देश ही नहीं बचेगा और यह देश लुटेरों का अड्डा बन जाएगा तो प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह किस खेत की मूली हैं ? हॉंलाकि प्राय: सभी दल चोर -चोर मौसेरे भाई साबित हुए हैं ।

1 टिप्पणी:

  1. bharat jaise desh ki mahanta in beman rajneta ke karan din raat katl horaha hai es par mujhe ek sher yaad aaya hai.
    janta ki jaan bhale hi jaye kursi apani na jaane paye
    vinod pandey
    mumbai
    9220349491

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