सोमवार, 8 जून 2009

मेरे लिए ईश्वर से प्रार्थना करना

पर्यावरण पर लिखते हुए मुझे कुछ बातें एकाएक याद आ गई , मेरे कुछ मित्रों ने मुझे यह तक पूछने लगे कि मैं घर का कचरा कहा फेंकता हूँ ? कुछ लोग जो मुझे पहचानते हैं मुझे फोन से पूछने लगे कि पर्यावरण जैसे विषय पर लिखकर अपना समय क्यों गंवा रहे हो ,कुछ लोगों ने तो विश्वास ही नहीं कर सके कि मैं इस विषय पर इतनी उग्र और नंगे शब्द का इस्तेमाल कर सकता हूँ । मुझे कुछ मित्र कहने लगे कि कुछ नहीं से कुछ भली ,आदि -- आदि ,क्या मेरे घर से इतने कचरे निकलते हैं जिससे की पर्यावरण दूषित हो रहा हैं ? भाई साहब! सैकडों वर्षों तक घर से जो कचरा निकलेगा उससे पर्यावरण को कोई क्षति नहीं होने वाली हैं ,यदि वन -जंगलों को स्वार्थी लोगों द्वारा नष्ट न किया जाए तो घर से निकलने वाली कार्बन डाई अक्साईड का कोई प्रभाव पर्यावरण पर नहीं पड़ सकता । प्रकृति ही दूनियां में सन्तुलन बना कर चलती हैं ,हम हैं कि जानबुझ कर प्राकृतिक सन्तुलन को असन्तुलित करते रहते हैं और बाद में हायतौवा मचाने में भी नहीं चुकते । जिस गति से पेड़ पौधे ,नदी नालों को हम बरबाद कर रहे हैं उसी गति से क्या हम उसका स्थानापन्न या क्षति पुर्ति करते हैं ? करे कोई और भुगते कोई, वाली कहावत यदि चरितार्थ होती रही , तो पर्यावरण के दुश्मनों को तो कभी सबक नहीं मिल सकता । उन्हें सबक सिखाने के लिए उनका वहिष्कार करना अतिआवश्यक हैं । वहिष्कार का अर्थ मात्र उनके द्वारा गलत कर्म का वहिष्कार होना चिहिए ,यदि ऐसे व्यक्ति जो हजारों एकड़ भूमि में अपना उद्योग लगाने के जीद और जुनून में छल -बल और कौशल का प्रयोग करते हुए जल जमीन की बरबादी करने में अडे हुए हैं ,तो क्या हमें क्या उसका साथ देना चाहिए ? क्या ऊंट के मूंह में जीरा वाली कहावत से पर्यावरण को बचाया जा सकता हैं ? हम एक पेड़ लगाए और एक पेड़ के बदले सैकड़ों पेड़ काट डाला जाए ? हर वर्ष पेड़ काटने वालों से ही हमारा पाला पड़ता हैं । पेड़ काटने वाले ही हमें बताते हैं कि पेड़ नहीं काटना चाहिए । शराब पीने वाले ही शिक्षा देते हैं कि शराब पीना अच्छी बात नहीं हैं । सिगरेट की कश से अपने को बरबाद करने वाले ही यदि कहें कि सिगरेट पीना ठीक नहीं हैं, तो उसका असर कैसा पड़ सकता हैं ? जरा इस बात पर भी तो हमें गौर करना चाहिए कि हम उस घड़े में पानी डालते चले जाए जिस घड़े के नीचे छेद हो गया हो ,पानी तो घड़े में तभी रूक सकती हैं जब छेद को बंद कर दिया जाए ,अब हम पेड़ लगाते चले और दुश्मन उसे काट कर मौज करते रहे ,यह दुविधा की स्थिति कब तक चलेगी ?अत: हम अपनी उर्जा ऐसे लोगों को चिन्हित कर उसे पेड़ काटने से रोकने में लगाए । एक सत्य घटना लिख रहा हूँ - मैंने वर्षों पहले छोटे-बड़े सभी को बरसात में पेड़ लगाते देख कर बहुत खुश होकर स्वयं भी कुछ पौधे लगाने गया था ,उसी स्थान से जब -जब मैं गुजरता था मेरी खूशी का ठिकाना न रहता ,मैं ऑंखों के सामने उन पौधों को पेड़ होता देखता था और ईश्वर से प्रार्थना करता कि भगवान इनमें से एक भी पेड़ न मर पाए ।कुछ समय पश्चात् चारों और हरियाली छा गई , हरियाली किसे पसन्द नहीं आता हैं ?एक दिन मैं उसी स्थान से गुजर रहा था जहॉं वर्षों पहले छोटे बच्चों से लेकर बड़े बूढे भी बरसात में पेड़ लगाने में मस्त थे और उसका उद्देश्य भी पूरा हो चुका था, अचानक एक दिन एका-एक विश्वास नहीं हुआ कि जहां हजारों पौधे बृक्ष बन कर लोगों को लूभा रहे थे वहॉं आज एक भी बृक्ष शेष नहीं है,बड़े -बड़े डोजर लाकर सभी बृक्षों को बेरहमी से जड़ से उखाड़ दिया गया ,मैं कहुं तो हत्या कर दिया गया ,हरियाली का नामोनिशान मिट चुका था,मुझे यह देख कर अधिक आश्चर्य हुआ कि जो बच्चे वर्षों पहले उन पौधों को लगाये थे , जो आज बृक्ष का रूप लिया था, वे ही उनको काटने में मद्द कर रहे हैं ,यह कैसी विडम्बना हैं? मेरा मन हाहकार कर उठा, आज भी उन स्थानों से मैं कभी -कभी गूजरता हूँ क्योंकि आने जाने के लिए दूसरा कोई रास्ता भी नहीं हैं, वहां आज कंक्रीट के जंगल उंग आए हैं, मैं रास्ते में जाते हुए आज भी अतीत में खो जाता हूँ । जीवन में अनेक सत्य घटनाओं से सामना होता हैं किसी मित्र ने मुझे लिखा कि आप थक गए हैं कुछ समय तक सुस्ताने के बाद फिर आगे बढना अच्छा रहेगा । उस मित्र को मैं जवाब नहीं दे पाया था ,भाई तुमने सच कहा ,मैं आज अपने ही शव को हर रोज देख -देख कर थक चूका हूँ पता नहीं कब इस दूनियॉं से चला जाऊं ,परन्तु जाने के पहले जीवन में जो भी अनुभव किया हैं उसे कुछ लोगों में मैं बॉंट सकूं, ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूँ; तुम भी मेरे लिए प्रार्थना करना ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. mai aapki baat se sahmat hun or aapke priyas ki sarahna karta hun ..
    bevakoop hai vo log jo aapko thaka hua batate hai
    darasal vo to zinda hai hi nahi vo to chalti firti lash hai

    जवाब देंहटाएं
  2. अपने अनुभवों को आपने ईमानदारीपूर्वक बताया, अच्छा लगा।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

    जवाब देंहटाएं
  3. आप की चिन्ता वाजिब है जब तक इस तरह पर्यावरण को हानि पहुँचाने वालो को कठोर दंड का प्रावधान नही किया जाएगा तब तक ऐसे लोगों पर अंकुश लगाना असंभव है।

    जवाब देंहटाएं

translator