शनिवार, 20 जून 2009

बलात्कारी को फाँसी--जनता का आदालत

बलात्कार पर शायद कुछ ज्यादा ही लिखना पड़ेगा ,इस विषय में मैंने भारतीय दृष्टिकोण रखने का प्रयत्न किया था ,चूंकि मैं सबसे पहले भारतीय हूँ अत: इस समस्या को भारतीय चश्मे से ही देखना पसन्द करूंगा ,मेरे कुछ बन्धुओं ने टिप्पनी किया कि पश्चिम के लोग भारत वर्ष को सपेरों का देश मानते हैं और हम भी पश्चिम को कुछ भी कहने का आजादी रखते हैं ....बात पूर्व और पश्चिम का नहीं हैं, बलात्कार का स्वरूप पश्चिम में और पूर्व में भीन्न होगा ,समाज और परिवेश ही इसे भीन्न रूप में
परिभाषित करता हैं । दूनियॉं में कुछ ऐसे समाज भी हैं जहॉं गर्भवती लड़की की ही विवाह मान्य हैं ,लेकिन भारत वर्ष में ऐसा सोच भी नहीं सकते हैं । समाज ने जिस दंग से मान्यता दिया या कानून बनाया है, उसके विपरीत कार्य करना ही बलात्कार कहना अधिक उचित होगा ।अब भारीतीय समाज ने नारी को बहुत ऊँचा स्थान प्रदान किया हैं ,जहॉं नारी का पूजा होता हैं वहॉं देवता का वास होने जैसे पवीत्र धारना दुनियॉं में कहीं खोजने पर भी नहीं मिल सकता हैं कम बेशी देश के हर कोने में अपवाद को छोडकर यही भावना काम करती हैं । अब पश्चिम में नारी को तो भोग का ही वस्तु माना जाता हैं ,वहॉं जो भी प्रत्यक्ष देखने और सुनने को मिलता हैं उससे यह धारना बनाना कोई अपराध नहीं है। भारत में विवाह को जन्म जन्मान्तर का साथ माना जाता हैं और पश्चिम में विवाह मात्र एक करार हैं जो जब चाहे तब इसे तोड़ दे और अलग हो जाए ,उनके बच्चें अनाथालयों में पलते हैं । टी वी और नेट ने दूनियॉं को छोटा बना दिया हैं अत: कोई भी धारना बनाने के लिए आज वहॉं जाना अति आवश्यक नहीं है।बलात्कार को बहुत हल्के से लेने का कोई मायने ही नहीं होता ,समस्या तो समस्या हैं ,उसका समाधान ढुढना समाज के जागरूक लोगों का कर्तव्य हैं। मेरा तो केवल यह मानना हैं कि हम जिस ढंग किसी नारी बलात्कार का प्रचार और विरोध करने के लिए आगे आते हैं उसी तरह से हमें सभी समस्याओं पर मुक्त विरोध करना चाहिए । जिस देश में आर्थिक तंगी के करण छोटी छोटी लड़किओं को दरिन्दों के हाथ बेच दिया जाता हैं और उसे अन्धी गली में धकेल कर पुरूष अपनी यौन संतुष्टि का साधन बना डाला हैं ,देश के सभी जिम्मेदार लोगों को यह पता हैं-- कहॉं कहॉं यह सब होता हैं , आजादी के 67 साल होनेको हैं, क्यों नहीं देश के गरिबी हटी ? सबसे बडा बलात्कार तो देश के गरिबी हैं जो सामूहिक बलात्कार के श्रेणी में आता हैं । यदि देश के गरिबी हट जाए तो बलात्कार की घटना पल भर में छुमन्तर हो जायगा । अब मैंने अगर लिखा कि मुझ पर हर रोज बलात्कार हो रहा हैं ,मुझे कौन न्याय देगा ? मेरे एक साथी ने लिखा कि मुझे न्याय नहीं मिलेगा ,यदि मिडिया मेहरबान हो जाए तो मुझे न्याय मिल सकता हैं । मैं अब मिडिया के पास जा रहा हूँ ताकि मुझे न्याय मिल सके । हे.....मिडिया भगवान मुझे विस्वास हैं कि आप मेरे फरियाद को सूनेंगे , इस देश के भाग्य विधाता आप ही हैं ,मैंने आपके उस प्रयास को देखा हैं जब आपने प्रिंस को पताल से निकाल कर जीवन दान दिया था ,मैंने पाकिस्थान के प्रेमी को भारत में मिलाने का एक मिसाल भी देखा हैं । मैंने तेजपाल के तेज को देखने का प्रयास किया हैं, मैं अगर लिखने बैठू तो सारा रात बित जाए ,फिर भी अधुरा ही रह जाएगा , इसलिए हे भगवान ! अब आप ही मेरे तारन हार हैं ,जिस तरह से कृष्ण जी ने द्रुपदि के चीर हरण से निजात दिलाया था उसी तरह मेरे साथ हो रही बलात्कार से मुझे मुक्ति दिलाने का कृपा करें और बलात्कारियों को फॉंसी के फन्दे पर लटकाने की व्यवस्था करें !!!!!!!!!!!!

2 टिप्‍पणियां:

  1. मुझे तो मुश्किल नज़र आ रहा है।आप कोई राखी सांवत या शाईनी आहूजा तो है नही राय साब आप पर मीडिया भला क्यों मेहरबान होगा।

    जवाब देंहटाएं

translator