भ्रष्ट्राचारी देशद्रोही के समान हैं ,चाहे भ्रष्ट्राचार कम किया गया हो या ज्यादा पर दंड के भागी एक समान होगा ,कम मौका मिला इसलिए कम भ्रष्ट्राचार किया गया ,अधिक मौका मिलने पर अधिक भ्रष्ट्राचार करेगा ,इसलिए इस रोग का वर्त्तमान में एक ही दवाई हैं , "फांसी " !! सामान्य क़ानून का भय भ्रष्ट्राचारियो को नहीं रह गया हैं अतः इन्हें खुलेआम मौत देना आवश्यक हो गया हैं ,देश के न्याय व्यवस्था इतने लाचार हैं की समय से न्याय नहीं मिलपाने के कारण देशद्रोही जमानत लेकर, एक के बाद एक अपराध करता चला जाता हैं ,ऐसी स्थिति में अपराधिओं को मात्र क़ानून के भरोसे छोड़ दिया जाय या जनता को अपना फर्ज निभाने के लिए कुछ कदम उठाना चाहिए ? प्रश्न यह हैं कि जनता को कौन सा कदम उठाना उचित हैं; मुझे लगता हैं कि न्याय मिलने में देर होने पर अपराधी को जनता के न्यायालय में छोड़ देना चाहिए ,प्रजातंत्र में सर्वोच्च सत्ता जनता में निहित होने के कारण न्याय करना जनता को ही शोभा देता हैं ,जनता की आदालत ही सर्वोच्च आदालत हैं
गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
देना हि चाहिये पर देगा कौन जब सब भ्रष्ट्राचारी देशद्रोही हि है?????????????
जवाब देंहटाएं