गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009
मैकाले की अंग्रेजी शिक्षा तुंरत बंद हो
गुलाम देश में शिक्षा की प्रचार करने की आवश्कता नहीं होती ,फ़िर भारत में अंग्रेज इतनी मेहरवान क्यों हो गए कि देश में अंग्रेजी शिक्षा का बाढ़ आ गया ? कहते हैं रोटी के टुकड़े में पलने वाले वफादार होते हैं ,अंग्रेजी शिक्षा रूपी रोटी खाकर जो बड़े हुए हो, वे अंग्रेजों के वफादार तो होंगे ही ,आज अंग्रेज चले गए ,पर उनके वफादार काले अंग्रेज इस देश में राज कर रहा हैं ,टपर -टपर अंग्रेजी बोलते हुए ऐसे दिखाते हैं जैसे मात्री भाषा जानता ही न हो ,गोरे अंग्रेजों के, काले औलाद ,आज भी गुलामी के दिनों का याद दिलाता हैं ,बच्चे स्कूल में अंग्रेजी शिक्षा पाकर अंग्रेजों का गुण गाता हैं ,इसमें बच्चों का क्या दोष हैं ?यदि आगे ऐसा ही चलते रहे तो कभी दावे के साथ यह नहीं कह सकेंगे कि हम आज आजाद हैं ,यह तो राष्ट्रीय अपमान हैं ,कब तक इस अपमान को सहते रहे ,बस अब बहुत हो चुका ,मैकाले की अंग्रेजी शिक्षा अब तुंरत बंद हो ,इसलिए कुछ भी खोना पड़े ,खोने के लिए तैयार हैं ,राष्ट्रीय स्वाभिमान के लिए अंग्रेजी और अंग्रेजियत बंद करना ही होगा एक साथ आवाज दो ---
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