बुधवार, 4 फ़रवरी 2009

समाज को बदल डालो,जाति पाती को तोड़ डालो

गीता में कहा गया हैं कि चार वर्णों का श्रीजन मेरे द्वारा किया गया हैं ,जिसका आधार गुण कर्म हैं ,गुण-कर्म पर यदि चार विभाग बनाया गया हैं तो आज जन्म पर आधारित जाति कहा से आ गया हैं ? ब्रह्म ज्ञानी को ब्राह्मण, देश रक्षा करने में सक्षम को क्षत्री ,शुद्ध आर्थिक व्यवस्था बनाने में सक्षम को वैश्य और तीनों वर्गों को सेवा भार शुद्रों को दिया गया था ,कोई अछूत नही होते थे ,सभी अपना -अपना कार्य ईमानदारी से करते थे ,गुरुकुल से ही वर्ण तय कर दिया जाता था कि समाज में जाकर कौन क्या कार्य करेगा जन्म पर आधारित जाति कभी होता ही नही था ,जैसे आज स्कुल -कालेजों से डिग्री लेकर समाज में मान प्रतिष्ठा मिलता हैं ,उसी तरह पूर्व में वर्ण का डिग्री दिया जाता था ,पिता यदि एम् .बी .बी .एस होकर नाम के आगे डॉक्टर लगाते हैं तो कोई बात नहीं पर बिना डिग्री के पुत्र यदि नाम के आगे डॉक्टर लगाता हैं तो दंड का भागी होगा ,फ़िर चार वेद न जानने वाले चतुर्वेदी ,चौबे लिखने से दण्डित क्यूँ नहीं किया जाता ? अतः जाति -पाती तोड़ कर समाज को बदलना ही पड़ेगा !!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

translator