शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009

श्रृंगारिक रस छोड़ - वीर रस में डुबो

समय के साथ चलना भी अच्छा हैं ,जब समय भी हमारे साथ चलने को तैयार हो ,समय यदि हमारा दुश्मन हो तो समय को बदल डालो , समय हमारे लिए हैं ,हम समय के लिए नहीं ; आज का समय जिसने भी हमारे ऊपर थौपा हैं ,उसका सम्मान करने का कोई जरुरी नहीं हैं समय ने देश पर भयानक बेरोजगारी का तलवार चलाया हैं ,समय भी आज नियम से नहीं चलता ,जिसका जोर हैं उसी का दासी बनकर आदेश का पालन करता हैं ,देश का रोजगार किसी का बपौती नहीं कि जब चाहो तब रोजगार से बाहर का रास्ता दिखा दो ,देश भी हमारा ,रोजगार भी हमारे ,यदि समय बिपरीत हैं तो समय का रुख बदलो ,अकाल हैं तो सब बांटकर खाओ ,रोजगार से निकालोगे तो श्रृंगारिक रस छोड़ कर ,डूबना होगा तो वीर रस में डुबकी लगायेंगे..संदेश सबके लिए हैं ..अतः आज के मंदी लाने के लिए जनता जिम्मेदार नहीं हैं ,मंदी के बहने रोजगार से निकालने खेल बंद करो ,त्याग मात्र सेवक ही नहीं करेगा ,त्याग मालिक को भी करना पड़ेगा ,फ़िर प्रजातंत्र में इस देश का सभी नौकर ,सभी मालिक हैं

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