विधवा विवाह और राजा राम मोहन राय के एक सच्ची कहानी पढने के पश्चात उस कहानी को विश्वास करना असम्भव सा लगता हैं ,हमारे देश में अत्याचार के अनेक मिशाल देखने -सुनने को आज भी मिल जाएगा, नारी अत्याचार के बारे में सुनने से भी रोंगटे खडी हो जाती है। देश के कुछ भागों में डाईन ,टोहनी ,का आरोप लगाकर खुलेआम महिलाओं को डंडे से पिट-पिट कर मारडाला जाता हैं ,इस मारने के खेल को सही ठहराने के लिए तमाम दलीले भी दी जाती हैं ,लेकिन सति प्रथा का अन्त जिस तरह किया गया हैं वह अपने आप में एक मिशाल हैं । पति के मर जाने पर पत्नी को भी जीवित चिताग्नी में जला दिया जाता था ,बेमेल विवाह के पश्चात 80 साल के बुढे के साथ 12-13 साल की पत्नी को जीवित जला देना कौन सी धार्मिक कार्य था ,और जिन्होंने भी जिस परिस्थिति में भी इसे धार्मिक रूप दे दिया था ,वह अक्षम्य अपराधी हैं ,पापिश्ठ हैं ।
राजा राममोहन राय को भाभी बहुत प्यार करते थे ,हर छोटी -छोटी जरूरतों की पूर्ति का खयाल रखना उनके दिन चर्या का अंग था ,राजा राम मोहन राय भाभी के व्यवहार से बहुत प्रभावित थे ,किसी कार्य से राजा राम मोहन रॉय को इंग्लैण्ड जाना आवश्यक होने से भाभी ने विदेश जाने की सारी व्यवस्था अपने हाथ में ले ली थी ,निश्चित दिन को बोझिल दिल से राजा राम मोहन राय को विदा देने के कुछ दिनों के पश्चात बडे भाई का अचानक मृत्यु हो जाता हैं ,भाभी सति नहीं होना चाहती थी ,परन्तु उस समय के धर्म के ठेकेदारों ने भाभी को जिन्दा जलाने की पूरी तैयारी कर ली थी ,इस अमानवीय प्रथा के खिलाफ भाभी हमेशा राजा राम मोहन राय को पूर्व से कहा करते थे ,परन्तु जब घर में इस तरह की परिस्थिति निर्मित हो गई तब वे विदेश में थे ,गॉव के लोगों ने नगाडें की आवाज में भाभी की चित्कार ,आर्तनाद ,को दबा दिया , जोर -जोर से नगाडे बजा कर घर से खिंचते हुए भाभी को चिता में बाध कर आग लगा दिया गया ,इस कृत से पूर्व, देवर के लिए एक पत्र भाभी ने लिखकर उनके कमरे में छोड दी थी ,असहाय अबला सी भाभी का आज कोई भी नहीं था , पति के देहान्त के साथ-साथ जीवित भाभी के अपने भी सब पराए हो गए थे ,चिता की आग जैसे -जैसे बढती जाती ,आर्तनाद भी बढते -बढते धीमी पड गई थी ,लोगों ने दूसरे दिन अस्थी के लिए चिता जला कर घर चले गए,दूसरे दिन जब दोनों के अस्थी खोजा गया तो एक अस्थी न मिलने से लोगों में चर्चा का विषय बन कर बात चारों ओर फैल जाने से फिर खोज बीन शुरू हो गया ,जहॉं चिता जलाया गया था ,उसके एक ओर कुछ झाडी थी अचानक लोगों का नजर उस झाडी में जाने के कारण उसमें खोजने पर अधजली भाभी जीवित अवस्था में लोगों को मिल गया ,यदि दवाई आदी से सेवा किया जाता तो भाभी जीवित रह सकती थी, हुआ यह कि किसी भी तरह जब चिता में बन्धन जल गया तो जीवित रहने की अति ईच्छा के कारण नजर बचा कर उस झाडी में छुप गई , नारी अत्याचार के इस विभत्स्य रूप को राजा राम मोहन राय को दिखाने की उत्कण्ठ ईच्छा आज भाभी को जीवित रखा था ,पर मनुष्य के नाम से समाज के राक्षसों ने उस झाडी से अर्धमूर्छित भाभी को खिंच कर निकाला और फिर से चिता जला कार उसमें जला दिया .
कुछ समय पश्चात राजा राममोहन राय विदेश से वापस आते हैं,अपने कमरे में जाते ही भाभी द्वारा लिखा उस पत्र को पढ कर उन्हें कैसा लगा होगा इसकी कल्पना करना भी कठीन हैं ,मन हाहाकार कर उठा,दू:ख से , पागलों की भॉती जब यह पता लगा कि उस पत्र में मात्र यह लिखा कि देवर जी ! यदि आप यहॉं होते तो मेरे साथ यह दुर्गति कदापी न हुआ होता .....! चिता से सम्बंधित घटनाओं को सुन कर समाज के ठेकेदारों के खिलाफ आक्रोश भर चुका था ,उसी दिन घर में रखा बन्दुक लेकर गॉंव वालों को ललकारते हुए निकल पडें ,पता नहीं कितने घायल हुए होंगे या कितने मर खप गए ,जब आक्रोश थोडी सी कम हुई तो अंग्रेस वाईसराय से मिल कर यह कानून बनाने के लिए दबाव डाला कि सति प्रथा को गैर कानूनी घोषित किया जाए ,वाईसराय ने अविलम्ब इस कृत को गैर कानूनी घोषित किया ,तब से आज तक सति प्रथा गैर कानूनी हैं ,आज सति होने की बात कभी कभार सुनने को मिल जाता हैं पर किसी का हिम्मत नहीं कि जोर जबरदस्ति किसी महिला को सति बनने के लिए मजबूर कर सकें । इस देश में आज भी सति प्रथा जैसे एक अमानवीय प्रथा चली आ रही हैं वह हैं जाति प्रथा ,जाति प्रथा इस देश को घुन की तरह बरबाद कर रही हैं हम इसे कानूनी रूप से अमान्य तो कर दिया हैं पर आज भी समाज में इसकी अस्तित्व इतनी गहन हैं कि सारे कानूनों को ठेंगा दिखा कर इसे जाति के ठेकेदारों ने जीवित रखा हुआ हैं ,देश के नेताओं को इसी जाति के आधार पर व्होट मिलता हैं अत: देश जाए भाड में उन्हें सत्ता और धन मिलना चाहिए , क्या इसे खत्म करने के लिए किसी राजा राममोहन राय की आवश्यकता है ?
रविवार, 15 फ़रवरी 2009
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राममोहन राय तो स्वर्गलोक को प्राप्त हो गये। अब हमें ही उनकी जगह लेनी होगी। मैं शुरुआत कर चुका हूं - बहुत छोटे स्तर पर। आप सब भी अपने-अपने स्तर पर शुरू हो जाइये नारी-उत्थान के लिये!
जवाब देंहटाएंsati pratha ko samapt karna yek meel ka patthar jarur sabit hua hai per angrejiat ke andhdh koop men dhakelne ka kalank bhi unhi ke nam hai.
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