शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009

२६/११ कल ,आज और हम -मुम्बई में होटल ताज पर हमला

शायद ही कोई २६/११ को भूल पाया हो ,कल की घटना ,लगता हैं ताजा हैं ,क्या भविष्य में इस दिन को उस दिन की भाँती याद रहेगा ?सारा मिडिया ने जिस तरह जीवंत घटनाओं से लोगों को प्रेरित किया उसका परिणाम २९/११ को देश ने देखा ,लाखों नौजवान ,आबाल -ब्रिद्ध,हाथ में श्रद्धा सुमन रूपी मोमबती लेकर स्वप्रेरणा से रास्ते में निकल आए थे ,आतंकवादिओं द्बारा होटल ताज ,ओबेरॉय ,नरीमनपॉइंट मुम्बई में जघन्य हमला कर देश की गरिमा को तारतार कर दिया;अपमानित ,पीड़ित ,ग्लानी ,आक्रोश से प्रतिक्रया स्वरुप जो अभिव्यक्ति मुम्बई में देखने -सुनने को मिली ,जो आग वहां लगी थी उससे ऐसा लग रहा था कि इस आग से तपकर देश रूपी सोना कुंदन बनकर निखरेगी ,पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ ,नेताओं का बयान आया ,मिडिया ने अपना काम किया ,जानता ने प्रतिक्रिया व्यक्त किया,फ़िर हमला होगा ,फ़िर बयान ,और जनता का प्रतिक्रिया ,बस यही सिलसिला देश के नसीब में लिखी हैं ,भारत माता जख्मी होकर चीत्कार करती रहेगी ,जख्म भरने के पहले दूसरी जख्म ,फ़िर तीसरी और जख्म नासूर बनकर रह्जाएगी ,फ़िर भी माया नगरी मुम्बई देश की जीवनरेखा कहलाएगी !

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