इस देश से प्रजातंत्र और लोकतंत्र तो गुप्त सम्राज्य के पतन होने के साथ -साथ समाप्त हो चुका हैं 1
ओर पीछे चले तो सम्राट अशोक याद आता हैं ,इतिहास के जानकार दोनों पर विशेष शोध करके वस्तुस्थिति से जनता को जानकारी दे सकते हैं ,भारत वर्ष के महान लोकतंत्र हजारों वर्ष पुरानी हैं, हमें इस पर गर्व होना चाहिए ।
भारत वर्ष में प्रजातंत्र के नाम से जो शोषण तंत्र का जाल चारों ओर बिछाया गया हैं ,उसका परिणाम भी सभी के सामने हैं । देश में आज कोई भी सुरक्षित नहीं रह गया हैं । जीवन का एक -एक पल भारी पड़ जाता हैं ,विकास के नाम से ,प्रगतिशील के नाम से जो ढॉंचे खड़े किए गए हैं आज सभी एक छलवा के सिवाय अन्य कुछ भी संज्ञा देना उचित नहीं लगता ।
देश की बागडोर ऐसे -ऐसे जोकरों के हाथ में हैं ,जिस पर टिप्पनि करना भी अपने आप को छोटा साबित करने के समान हैं ।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आजादी के पश्चात कम से कम बीस वर्षों तक कल्याण- कारी तनाशाही लागू करने की योजना बहुत पूर्व देश के सामने रख चुके थे ,नेताजी जानते थे कि हजारों सालों से गुलाम प्रजा एका एक देश को नहीं चला सकते , प्रजातंत्र की सबसे बडी बाधा अशिक्षा, गरिबी, असमानता, बेरोजगारी, अन्धविस्वास ,ऊँच -नीच की भावना ,जाति-प्रथा आदी हैं ,अत: जब तक इन समस्याओं से हम योजना बद्ध तरीके से समाधान न कर ले तब तक लोकतंत्र सफल नहीं हो सकती1
यहॉं के स्वार्थी और अंग्रेजों के तलुए चाटने वाले कुछ नेताओं ने नेताजी के बात नहीं मने ,एक षडयंत्र के तहत उन्हें जीते जी मृत घोषित करके ,देश के भाग्य विधाता बन बैठे ।वर्तमान हालात को देखकर चुप रहना बहुत मुस्किल हो गया तो लिखना शुरू किया , कवि -लेखक ,साहित्य कार बनने का कभी सपना न था और न हैं ,अब तो देश के हरामखोरों को चैन से सोने नहीं दुंगा ।
मंगलवार, 15 सितंबर 2009
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सही तेवर हैं.
जवाब देंहटाएंअत्यन्त सत्य वचन। भारत पूरी तरह से गद्दारों और मौकापरस्तों के चंगुल में है। जनता को जगाना जरूरी है।
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