सोना में आग लग गया हैं ,अब लगातार देश के सभी लोग देख रहे हैं किन्तु इसे बुझाने के लिए कोई सामने नहीं आ रहे हैं ,खाने पीने के सभी चीजों का तो क्या कहने ....सरकार में बैठे तिकड़ी तो इस मामले में झुठा नम्बर एक साबित हुए ,लगातार छ: साल का मेरे पास लेखा जोखा हैं ,महंगाई और शेयर बाजार पर इन तिकडियो ने कब कब झुठ बोल कर अपनी चमड़ी बचाई हैं ।
अभी मोंटेक सिंह आहलुवालिया ने कहा कि छ: माह में मंदी का अन्त हो जाएगा ,यही महाशय ने एक बार कहा था कि तीन माह में महंगाई खत्म हो जायेगा ,तीन साल से अधिक होजाने के बाद भी न महंगाई खत्म हुई और न ही अन्य समस्या ।
एक बात अच्छी हो गई कि लोग धीरे -धीरे ही सही लोगों का भ्रम तिकडियो से टुटने लगी हैं ,अब नाम लेना तो अच्छा नहीं लगता पर बहुत लोगों को तिकड़ी का अर्थ मालूम नहीं हैं , तिकड़ी याने मनमोहन ,मोटेंक,और चिदम्बरम देश को बरबाद करने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहते है 1
जमाखोरी ,भ्रष्ट्राचारी से ही तो अधिकांश नेताओं का पेट पलता हैं ,अभी कुछ नेताओं ने सादगी अपनाने का ढोंग रच रहे है। सौ चूहे खाकर बिल्ली चले हज को वाली कहावत चरितार्थ होने लगा हैं । नेताओं के हाथ में एक सूत्र लग गई हैं वह हैं भारतीय जनता सादगी पसन्द करती है ,आप लंगोट लगा कर या नागा साधु सा भेष बनाकर समाज सेवा में कूद जाईए ...देखिए फिर क्या मजा आता हैं ।
साधुओं के लिए रातों रात महल जैसे आश्रम तैयार हो जाता हैं, अब आप ऐश किजीए ।
मैंने शुरू किया था सोना में आग लगने की बात पर ,एक मानसीक कमजोरी इस देश में प्राचीन काल से रही है। अब कमजोरी कहे या शौक ,धन सम्पत्ति तो इस देश कमी थी नहीं ,अनेक बार लूटते रहने के बाद भी सोना-चॉदी का अभाव इस देश में कभी नहीं रहा हैं ।
विवाह आदी के समय गरीब से गरीब भी कुछ सोना लड़की और लड़के को देना अपना फर्ज समझते हैं ,यही मानसीकता को भाप कर जमाखोरों को मजा आ गया हैं ,सोना -चॉदी ,खाद्यान्न जैसे जमाखोरी करके कित्रिम महंगाइ बाजार में लाद कर अरबों का खेल इस देश में शुरू हो चुका हैं । अब तो चाहते हुए भी अधिक सोना विवाह आदी के समय देने की रिवाज ही खत्म हो रहा हैं सोना दान करने के पीछे एक बहुत बड़ा कारण यह भी हैं कि यदि नव दम्पत्ति के सामने कभी आर्थिक विपत्ति हो तो सोना उस विपत्ति से उबारने का अच्छा माध्यम हो जाता हैं ।
एक सात्विक सोच को शोषण का माध्यम बनाया गया हैं ,सरकार समाज सब चुप हैं ,यह विचार करके कि सोना खाना नहीं हैं अत: इस पर ध्यान क्यों दिया जाए । पर बात ऐसी नहीं हैं ,सोना जीवन में अनेक सुरक्षा प्रदान करता हैं ,अत: इस कित्रिम महंगाइ के विरोध में हम सभी को एकत्रित हो कर जरूर लड़ना चाहिए ।
मैं तो सोचता हूँ कि सोना खरीदना बंद कर पोस्ट आफिस या बैंक की ओर नजरे दौड़ाना अच्छी बात हो सकती हैं । शेयर बाजार जैसे उतार चढाव वाली धंधा जुआरिओं को शोभा देता हैं । सभ्य मनुष्य इससे तो दूर ही रहना पसन्द करते हैं ,जिसे रात की नींद और सुख चैन खत्म करना हो ,रक्त चाप से ग्रसीत होना हो तो शेयर बाजार में चले जाए ,रातों रात करोड़पति ओर रातों रात खकपति दोनों का मजा लिया जा सकता हैं । करोड़पति बनने के जुनून परिवार को बरबाद कर देती हैं
सोना -चॉंदी तो भारत का जीवन रेखा हैं हम चाहे कुछ भी कहे पर सोना बीन सब सून वाली बात यहा लागू होता हैं । इसलिए सोना पर अंकुश लगाते हुए कित्रिम महंगाइ को राकना अति आवश्यक हैं ।
सोमवार, 21 सितंबर 2009
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