परिवर्तण ही जीवन हैं ,दुनियॉं में हर वक्त कुछ न कुछ परिवर्तण होता ही रहता हैं ,होना भी चाहिए ,एक ही धारा में चलते -चलते थकान भी महशुस होता हैं 1 आज अंग्रेजी के बहाने मेरे अनेक मित्रों ने मुझे परिवर्तण कर दिया,अंग्रेजी एस.के.राय को हिन्दी राय बना दिया ,अब तो बहुत अच्छा लग रहा हैं ,जी.के. अवधिया जी ने भी इसमें बहुत मदद किया है ,समीर भाई का तो क्या कहने, आपने तो एक सरल तरीका ही टिप में डाल दिया 1
बार -बार सेटिंग में जाकर अंग्रेजी को हिन्दी में करना चाहा ,हर बार असफलता ..... अंकिता को बुला लिया ,अंकिता मेरी बेटी हैं । बोली जादु कर देती हूँ ,एक स्थान में एस.के.राय हिन्दी में लिख कर कॉपी -पेस्ट कर दी ,मैं जिसके लिए घन्टों परिश्रम कर रहा था ,एक मिनट में सचमुच जादु हो गया ...........अब ``मेरे विचार´´ लगता हैं समीर जी के शब्दों में एस.के.राय के विचार हो जाएगा ।
शुक्रवार, 18 सितंबर 2009
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राय साहब,
जवाब देंहटाएंआपकी कुछ पोस्ट उत्सुक्तावास एक साथ ही पढ़ गयी....बड़ी प्रसन्नता हुई कि आप मातृभाषा हिन्दी के उपासक , प्रशंशक तथा पोषक हैं..
परन्तु मुझे खेदजनक यह लगा कि समीर भाई की बात आप नहीं समझ पाए...उन्होंने हिंदी की बुराई नहीं की बल्कि हिन्दी को और अधिक समृद्ध करने की बात की थी....
समस्या किसी भाषा में नहीं,बल्कि उसको व्यवहृत करने वाले के भावनाओं में होती है..अंगरेजी क्या, अपने देश या विश्व की जितनी भाषाएँ हम सीख जान पायें उतना अच्छा है..पर समस्या यह है कि आज मातृभाषा के प्रति लोग तिरस्कार का भाव और अंगरेजी के प्रति मोह निष्ठां तथा श्रेष्टता का भाव रखते हैं...हमें आघात उस मानसिकता को पहुँचाना है जो अनावश्यक दंभ का भाव रखती है..भेद भाव फैलती है....
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जवाब देंहटाएं.
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रॉय जी,
आपने मेरे कहे पर ध्यान दिया, धन्यवाद।
पर अभी भी मैं संतुष्ट नहीं क्योंकि अभी आपके नाम के प्रथम दो शब्दों की अंग्रेजी abbreviation लिखी गई है, कृपया अपना पूरा नाम हिन्दी में लिखिये जैसे 'श्याम कृष्ण रॉय'
प्रवीण शाह
हाँ, मैं सेक्युलर हूँ।
बधाई!
जवाब देंहटाएंअन्त भला सो भला! :)
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