बुधवार, 23 सितंबर 2009

गुणवत्ता विहीन बालको विद्युत सयंत्र की चिमनी गिरा-- सैकड़ो घायल ,इंजिनियर ओर मजदूरों की मौत --मलवे में दबे हैं लाश

कोरबा -बालको -का नाम पहले जो नहीं जानते थे ,आज के बालको हादसे के बाद भारत में ही नहीं बल्की दुनियॉ के लोग जानने लगेंगे । आज लगभग 3 बजे बालको द्वारा स्थापित 1200 मेगावाट के विद्युत सयंत्र की चिमनी का निर्माण कार्य में लगे के लिए काला दिवस साबित हुआ , मजदूरों को क्या पता था कि आज उनके जीवन का अन्तिम दिन होगा ,100 मिटर लगभग 250 फीस उंची कुतूब मिनार जैसे चिमनी बनने का ठेका सिपाको ,चीन के कंपनी को दिया गया था ,मात्र कुछ कागज के नोटों के लिए बालकों के प्रबंधन द्वारा गुणवत्ता विहीन कार्य करने मे माहीर चीन के सिपाकों कंपनी को 1200 मेगावाट विद्युत संयत्र का ठेका दिया गया ,यह कंपनी देशी कंपनी भेल से बहुत ही कम किंमत में निर्माण कार्य करता है ,जोकि मानक किंमत में कभी सम्भव ही नहीं होता ।

बालको जिसका सीइओ अनिल अग्रवाल है ,कभी बालको में कबाड खरीदकर अपना जीवन यापन करता था ,एका एक करोडों का मालिक कैसे बन बैठा ,यह जॉंच का भी विषय हैं । एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के दलाल जो इंग्लैण्ड से संचालित होता हैं , भारत में प्रवेश कर वेदान्ता के नाम से व्यापार करने लगा ,आज अंग्रेज प्रत्यक्ष रूप से भारत न आकर यहॉं के पीट्ठुओं से अपना काम करवा लेता है ,यदि यहॉं के अच्छा दलाल अंग्रेजों के लिए फैदेमंद हो तो उनके कंधे पर बन्दुक रख कर भारत में लूट का साम्रज्य बनाना बहुत आसान है ।

अनिल अग्रवाल ने यही काम भारत में किया हैं ,किसी जमाने में मिर्जाफर ने देश के साथ जो गद्दारी किया था ,जिसका परिणाम देश के बच्चे -बच्चे आज जानते है। भारत में फिर इतिहास दोहराया जा रहा है।

चिमनी भर भरा कर गिर पड़ी ,चिमनी के ऊपर काम कर रहे मजदुर, इंजिनियर ताश के पत्तों की तरह नीचे बिखर गए ,250 फीट नीचे आते आते अधिकांश मजदूरों का जीवन लीला समाप्त हो चुका था , लाशों को पहचान पाना मुस्किल हो चुका है ,23 लाश मलबे से निकाल लिया गया है ,लगभग 40 मजदूर और इंजिनियर चिमनी के मलबे में दबे पड़े हैं ।

संयोग से हादसे की स्थान में जाने का मुझे मौका मिल गया था , गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य देखकर मैं हैरान और आश्चार्य चकित था , मजदुरों और कर्मचारियों के जीवन के साथ बालकों में जिस तरह से खिलवाड़ किया जा रहा हैं, उसे दिखकर और सुनकर मन हाहाकार कर उठता हैं --

मुझे याद हैं जब बालको का निजीकरण हो रहा था और मजदुरों ने 67 दिन का ऐतिहासिक आन्दोलन कर इसका विरोध किया ,परन्तु भारत सरकार और राज्य सरकार दोनों ने मिलकर लाभ में चल रही बालको को मिटि्ट के मौल वेदान्ता समूह को दान में देकर ,पता नहीं अंग्रेजों के एक बहुराष्ट्रिय कंपनी को क्यों अनुग्रहित किया । लगभग पॉच हजार करोड़ की राष्ट्रिय सम्पत्ति को विनिवेश के नाम पर मात्र पॉच सौ करोड़ में देकर ,भष्ट्राचार का मिशाल कायम किया गया ,शर्म की बात हैं ....गद्दारी की चरम सीमा !!!!!

बालको का अर्थ भारत एल्युमिनिय कंपनी ,वेदान्ता समूह ने एल्युमिनियम कंपनी का ५१ प्रतिशत अधिग्रहरण करते हुए मालिक बन बैठा , बालको में एक केप्टिक विद्युत सयंत्र पहले से ही लगाहुआ होने के कारण विद्युत आपूर्ति में को कठिनाई नहीं होती थी ,वेदान्ता समूह ने देखा कि कोरबा में कोयला अधिक उत्पादन होता हैं अत: एल्युमिनियम के बहाने घुसपैठ करते हुए विद्युत संयत्र बनाने से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

विद्युत संयत्र बनाने के लिए बालको का भूमि जिसे भुस्वामीओं ने एल्युमिनियम सयंत्र के लिए प्रदान किया था ,उसी भूमि में दो -दो विद्युत सयंत्र निर्माण करने का षडयंत्र यहॉं के शासन प्रशासन को उपकृत करके रचा ,हजारों एकड़ भुमि अवैध कब्जा करके ,हजारों हराभरा पेड़ों को रातों रात हत्या करते हुए जिस विकास बनाम विनाश का नंगा नाच कोरबा में शुरू किया गया, उसका मिशाल विरले ही देखने सुनने को मिलता हैं ।

चिमनी प्रकरण में बालको प्रबंधन ,अनिल अग्रवाल वेदान्ता समूह के आका जो इंग्लैण्ड में बैठे हुए हैं ,चीन के सिपको ,स्थानिय प्रशासन ,छत्तिसगढ शासन सभी दोषी हैं ,रमन सरकार मात्र जॉच का आदेश दे कर अपना कर्तव्य से बच नहीं सकते । छत्तिसगढ को बंजर और प्रदूषित करने में डा.रमन सिंह अपराधी के श्रेणी आ जाते हैं ।

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