गुरुवार, 24 सितंबर 2009

बालको के चिमनी कांड --बहुराष्ट्रीय कंपनी का भारत में देशद्रोही के सामान हैं--

बालको में कल जो हादसा हुआ था लगभग तीस घन्टे बीत जाने पर भी लगातार लाशों का मिलना जारी है।चिमनी के मलवे में अभी अनेक लाश दबे पड़े है ,पता नहीं किन अभागों का कंकाल ही हाथ लगेगा, और यह शिनाख्त करना भी मुस्किल हो जाएगा कि किसका लाश है।

सूत्र बताते हैं कि ऐसे अनेक मजदूर हैं जिसके पास कोई प्रमाण पत्र ही नहीं है ,मजदूर ठेकेदार यदि तीस प्रमाण पत्र जारी किया हैं, उसी तीस के बदले पंचास -साठ मजदूर कार्य करने चले जाते थे ,यह कैसे सम्भव होता हैं ,यह मुझे पता नहीं, पर कहते है लेबर इन्सपेक्टर के साथ सॉंठ- गाठ करके ऐसा किया जाता है ,जो जानते हैं कि चिमनी बनाते समय इस तरह की हादसा होता हैं और मौत होने पर कम मुआवजा देना पड़े , इसलिए पहले से ही तैयारी किया जाता हैं ।

आज बालको प्रबंधन और जीडीसीएल पर गैर इरादा हत्या का मामला दर्ज किया गया हैं ,304 ए धारा लगाकर प्रथम सूचना थाने में दर्ज कर न्यायिक जॉंच की आदेश भी शासन ने दे दिया हैं , पर इससे क्या हासिल होगा , सभी जानते हैं ,जॉंच का समय बढता चला जाता हैं और तब तक सारे सबूत भी एक एक करके नष्ट हो जाने से अपराधी अन्तिम समय में न्यायिक दण्ड से बच निकलते है।
यदि मुम्बई होटल ताज का घटना हो तो देश के सभी दिल थाम कर दुआ के लिए निकल पड़ते है ,हिन्दु, मुस्लिम,इसाई सभी सारे भेद भाव भुल कर सहयोग का हाथ बढाते हैं ,देश में आक्रोश का माहोल बन जाता है । आज सैकडों लोगों का जान चला गया ,लाश अभी दबे पड़े है ,लाश सड़ चुकी हैं ,बदबु आने लगी है ऐसी स्थिति में बालको प्रबंधन के सारे जिम्मेदार लोग घटना स्थल पर जाना भी मुनासिब नहीं समझे ।

बालको प्रबंधन के स्थानीय प्रमुख श्री गूंजन गुप्ता जो 24 घन्टे के बाद घटना स्थल पर पहुँचने के कारण उपस्थित मजदूर भड़क गए और उसे मारने के लिए दौडाए ,उसके साथ भी अप्रिय घटना घट सकती थी ।

प्रत्यक्षदर्शीयों का कहना है कि लगभग तीन बज कर तीस मिनट को यहॉं ऑंधी और कड़कते हुए बिजली चमकने लगी एवं कुछ ही समय पश्चात चिमनी धराशायी हो गया ,यह भी बताया जा रहा हैं कि पहले तो चिमनी लगभग बीस मिटर जमीन के अन्दर धंश गई ,और बाद में झुकते हुए गिरी

प्रबंधन इसे एक प्राकृतिक घटना के साथ जोड़कर अपना पक्ष मजबुत बनने मे लगी हुई हैं ।यह धारणा बनाई जा रही हैं कि चिमनी तेज ऑंधी और बिजली गिरने के करण धराशायी हुई हैं । क्या तेज ऑधी और बिजली गिरने के कारण निर्माण कार्य धराशायी हो जाती हैं ? कुतुब मिनार क्यों नही गिर गई ? हजारों वर्षों तक आज भी दिल्ली में शान से खड़ी है । आज विज्ञान इतनी तरक्की कर चुकी है , फिर भी इस तरह की गिम्भर हादसा होना किसी भी तरह से प्राकृतिक नहीं कहा जा सकता हैं ।

कंक्रिट के मजबूत दीवारों से निर्मित लगभग 250 फीट की चिमनी जब गिरी तो कांक्रिट में फंसे छड़ को आसानी से हाथ से खिंचकर निकाला जाना आसान था जबकि साधारणत: छड को कंक्रिट से अलग करना बहुत कठीन होता हैं । एक बात और हैं कि १२०० मेगावाट के बिजली सयंत्र को मात्र ९०० करोड में चीन के कंपनी ने तैयार करने का ठेका लेता है और चिमनी में ३२ एम एम के छड़ के स्थान में २२ एम एम का छड़ लगा कर खर्च को कम किया गया ,जो गुणवत्ताहीन निर्माण की पोल खोलने के लिए प्रयाप्त हैं ।

एक बात यह भी हैं कि बालको में चीन के सिपको द्वाराएक और बिजली सयंत्र का निर्माण करते समय आठ लोगों की मृत्यु हो चुकी थी ,फिर भी दूसरी सयंत्र का ठेका सिपको को देना ,सन्देहास्पद हैं । तमाम तथ्यों पर निश्पक्ष जॉच कर दोशी का कठोर दण्ड देना आवश्यक है । यह देशद्रोही के समान अपराध हैं !

देशहित के मुद्दों पर समस्त ब्लोगारों को एक सशक्त दस्तक देना भी समयानुकुल जरूरी है ,अन्यथा लेखनी उठाना और प्रजातांत्रिक देश के नागरिक कहना किसी तरह उचित नहीं हैं । आशा करता हूँ कि ब्लोगर बन्धु ज्वलन्त मुद्दों पर अपना प्रतिक्रिया अपनी तरिके से अवश्य दर्ज करेंगें ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. ह्म्म्म्म! सचमुच आपने बहुत अच्छा और सारगर्भित मुद्दा उठाया है.

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  2. मृतकों को श्रद्द्धांजलि और उनके परिवार वालों को ईश्वर सहने की शक्ति दे।

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  3. भाई, सारे देश में भारत की मानवशक्ति के असीम शोषण की प्रक्रिया चल रही है। लेबर इंस्पेक्टर केवल दिखावे के हैं। हो सकता है प्राकृतिक कारण से दुर्घटना हुई हो। लेकिन जब आप चिमनी को ऊँचाई की ओर बना रहे हैं तो साथ के साथ एक अस्थाई तड़ित चालक भी ऊपर की ओर बढ़ते रहना चाहिए। उस की क्या व्यवस्था थी?

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  4. भ्रष्टाचार से सने और सड़े हुए देश में ऐसी घटनाएं होती रहेंगी…। जनता जागरूक होकर भी क्या कर लेगी, जब सरकारी अफ़सर और कम्पनियों की साँठगाँठ से पूरे देश को चूना लगाया जा रहा हो…। भ्रष्टाचार को खत्म करने या कम करने का कोई उपाय भी नहीं सूझ रहा…

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